सरकार ने लोक भविष्य निधि यानी पीपीएफ खाता समय से पहले बंद करने की सुविधा देने और नाबालिग के नाम पर लघु बचत खाता खोलने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वित्त विधेयक 2018 में प्रस्तावित कानूनी बदलावों का उद्देश्य लघु बचत योजनाओं के अंतर्गत आने वाले खातों के लिए लचीलापन लाना है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में जताई गई चिंता को दूर करते हुए मंत्रालय ने कहा कि पीपीएफ कानून को दूसरे कानूनों के साथ मिलाते समय मौजूदा सभी संरक्षणों को कायम रखा जाएगा। इसके मुताबिक, “जमाकर्ताओं को इस समय पीपीएफ में जो लाभ मिल रहे हैं, उसे इस प्रक्रिया के द्वारा वापस लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है।”
सरकारी बचत प्रमाणपत्र कानून, 1959 और लोक भविष्य निधि कानून, 1968 को सरकारी बचत बैंक कानून 1873 के साथ विलय का प्रस्ताव है। विधेयक के तहत मौजूदा लाभ तय करने के साथ जमाकर्ताओं को नये लाभ का भी प्रस्ताव किया गया है।
-इसमें गंभीर बीमारी के इलाज तथा उच्च शिक्षा जैसी जरूरतों को पूरा करने के लिए लघु बचत योजनाओं को समय से पहले बंद करने का विकल्प दिया जाएगा।
-विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘प्रस्तावित विधेयक में किए गए प्रावधानों के तहत एक अन्य लाभ यह है कि लघु बचत योजनाओं में निवेश नाबालिग के नाम से भी किया जा सकता है।’
-विधेयक में जमाकर्ताओं को किसी आपात स्थिति में पीपीएफ खाता पांच साल से पहले बंद करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है।
-मंत्रालय ने कहा, ‘‘लघु बचत योजनाओं के मामले में संशोधन के जरिए ब्याज दर और कर नीति में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। कुछ लघु बचत योजनाओं को बंद करने की आशंका आधारहीन है।’
-बता दें कि लघु बचत योजनाओं पर बैंक जमा की तुलना में ब्याज ज्यादा मिलता है और कुछ लघु बचत योजनाओं में निवेश पर टैक्स का भी फायदा मिलता है। लघु बचत योजनाओं में डाकघर बचत खाता, राष्ट्रीय बचत मासिक आय खाता, राष्ट्रीय बचत आवर्ती जमा, पीपीएफ तथा सुकन्या समृद्धि योजना शामिल हैं।