क्रिसिल के अनुसार जिन कंपनियों ने 31 मार्च तक बीएस-3 वाणिज्यिक वाहनों का स्टॉक निकाला है उन्हें रियायतों और प्रोत्साहनों पर 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं ऐसा स्टॉक जो बिक नहीं पाया है उस पर कंपनियों को 1,300 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
ट्रक कंपनियों अशोक लेलैंड तथा टाटा मोटर्स के कर पूर्व मार्जिन पर एकल आधार पर उनके राजस्व का 2.5 प्रतिशत असर पड़ने का अनुमान है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नुकसान का प्रभाव 2016-17 और 2017-18 दोनों वित्त वर्ष में पड़ेगा। इसकी वजह है कि बिना बिके स्टॉक को डीलरों से वापस मंगाना होगा और उसके बाद उन पर काम करना होगा।
हाल में संपन्न वित्त वर्ष में बीएस-तीन वाहनों पर छूट से कंपनियों के कर पूर्व मुनाफे पर एक प्रतिशत का असर पड़ा है। इस मामले पर फैसले के दिन वाणिज्यिक वाहन उद्योग के पास बीएस-तीन वाहनों की 97,000 इकाइयां थीं जो मूल्य के हिसाब से 11,600 करोड़ रुपये बैठती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोपहिया उद्योग को इस फैसले से करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। दोपहिया उद्योग पर इस फैसले का असर कम हुआ है क्योंकि कई कंपनियां मसलन बजाज ऑटो, यामाहा और आयशर ने जनवरी, 2017 से ही बीएस-चार उत्सर्जन मानकों के अनुरूप उत्पादन शुरू कर दिया था। वहीं हीरो मोटोकार्प, होंडा तथा टीवीएस मोटर्स ने प्रतिबंध से पहले ही अपने मॉडलों का उन्नयन कर दिया था।
जिस समय यह फैसला आया उस वक्त दोपहिया उद्योग के पास बीएस-तीन वाहनों की 6,70,000 इकाइयां थीं जो मूल्य के हिसाब से 3,800 करोड़ रुपये बैठता है। लेकिन 10 से 30 प्रतिशत तक छूट और मुफ्त पेशकश के जरिये मार्च के आखिरी के तीन दिनों में डीलर अपना ज्यादातर स्टॉक निकालने में सफल रहे। भाषा