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आयकर रिटर्न दाखिल न करने वालों को 21 दिन की मोहलत, बड़े लेन-देन पर इनकम टैक्स की नजर

आयकर विभाग ने बड़े लेन-देन करने के बाद भी रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।...
आयकर रिटर्न दाखिल न करने वालों को 21 दिन की मोहलत, बड़े लेन-देन पर इनकम टैक्स की नजर

आयकर विभाग ने बड़े लेन-देन करने के बाद भी रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। विभाग ने कई ऐसे कई लोगों की पहचान की है जिन्होंने साल 2017-18 में बड़ा लेन-देन किया लेकिन आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया। आयकर विभाग ने ऐसे लोगों को सलाह दी है कि 21 दिन के भीतर वे अपना रिटर्न दाखिल करें या ऑनलाइन सिस्टम के जरिये अपना पक्ष रखे। ऐसा नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

तय सीमा से ज्यादा नगद भुगतान पर हो सकती है परेशानी

आयकर विभाग डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके नॉन फाइलर्स मॉनिटरिंग सिस्टम (NMS) के जरिये रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों की पहचान कर रहा है। आयकर विभाग ने एक तय सीमा से अधिक कैश भुगतान को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने लोगों के लिए चेताया भी था। आयकर कानून के तहत नकद लेन-देन की जो अधिकतम सीमा तय की गई है, उससे अधिक का भुगतान अगर आप नगद में करते हैं तो आपको परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।

क्या कहता है कानून

सरकार की तरफ से तय की गई सीमा के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति 2 लाख रुपये से अधिक राशि का भुगतान नकद में नहीं कर सकता। यहां तक कि आप अपने नजदीकी रिश्तेदार या पति/पत्नी से भी एक दिन में 2 लाख रुपये से अधिक नकद में नहीं ले सकते। सिर्फ शादी-विवाह के मामले में अगर अलग-अलग दुकान से जूलरी खरीदी जाती है तो इस सीमा में राहत दी जा सकती है। अगर दुकानदार नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे आयकर विभाग लेन-देन की रकम के बराबर जुर्माना देना पड़ सकता है।

नकद लेन-देन के रूप में कर्ज लेने पर भी नियम बनाए गए हैं। कर्ज की स्थिति में मात्र 20,000 रुपये तक नकद में लेन-देन कर सकते हैं। इससे अधिक के कर्ज के लिए बैंक का माध्यम ही चुनना होगा। इसी तरह कर्ज को वापस करने में भी समान नियम लागू होते हैं।

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