पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार के बीच के टकराव को 'बीमारी होने का लक्षण' करार दिया और कहा कि केन्द्र सरकार को रिजर्व बैंक और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी संस्थानों को चलाना नहीं आता है।
अमित मित्रा ने कहा कि स्वायत्तता को लेकर रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर की चिंता इस बात को दिखाती है कि रिजर्व बैंक में अंदर से विस्फोट होने वाला है। मित्रा ने कहा कि केंद्र सरकार यह नहीं जानती है कि आरबीआई और सीबीआई जैसी संस्थाओं को किस तरह से चलाया जाता है।
पिछली किसी भी सरकार के समय नहीं दिखी दोनों संस्थाओं के बीच टकराव
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मित्रा ने राजधानी दिल्ली में शुक्रवार शाम को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि आरबीआई और सीबीआई से जुड़े घटनाक्रम एनडीए सरकार के कमजोर शासन को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों संस्थाओं के टकराव की इस तरह की घटनाएं पिछली किसी भी सरकार के समय नहीं दिखाई दी।
नोटबंदी-जीएसटी के दोषपूर्ण क्रियान्वयन की वजह 4.75 लाख करोड़ रुपये का नुकसान
केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार के बीच जारी गतिरोध पर टीएमसी नेता कहा, 'सरकार को नहीं पता है कि इन संस्थाओं का प्रबंधन कैसे किया जाता है। उन्हें यह सीखना है यह केवल बीमारी का लक्षण है।' उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के दोषपूर्ण क्रियान्वयन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को 4.75 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मित्रा ने 59 मिनट में लोन देने की केंद्र की पहल की भी आलोचना की
मित्रा ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग को 59 मिनट में एक करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराने की केंद्र की पहल की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह महज हथकंडा है और उन्हें कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है, जिसे इस पोर्टल के जरिए अब तक कर्ज मिला हो।