केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनाम दायर कर कहा कि अगर 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट जमा कराने का एक बार फिर से अवसर दिया जाता है, तो ब्लैकमनी पर काबू पाने के लिए की गई नोटबंदी का मकसद ही बेकार हो जाएगा। इस मौके का दुररूपयोग किया जाएगा और बेनामी लेनदेन और नोट जमा कराने में किसी दूसरे व्यक्ति का इस्तेमाल करने के मामले सामने आएंगे।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामें में सरकार ने कहा कि 1978 में की गई नोटबंदी के दौरान महज छह दिन नोट जमा कराने के लिए दिए गए थे। इसके उलट मौजूदा सरकार ने 51 दिनों का समय दिया, जो पर्याप्त है।
गौरतलब है कि 4 जुलाई को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और रिजर्व बैंक से पूछा था कि जो लोग नोटबंदी के बाद तय वक्त में पुराने नोट जमा नहीं करा पाए, क्या उन्हें एक और मौका दिया जा सकता है? उनके लिए कोई विंडो क्यों नहीं हो सकती? जिन लोगों के पास पुराने नोट जमा कराने का सही कारण मौजूद है, उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए।
इसके जवाब में सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कर अपनी बात साफ कर दी है। पुराने नोट जमा करने के लिए एक और मौका देने से साफ इंकार कर दिया है।