पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर अगले छह महीने तक ट्रेडिंग करने से रोक लगा दी है। सेबी ने नेशनल स्टाक एक्सचेंज से एक जगह कुछ सर्वर को विशेष लाभ पहुंचाने (को-लोकेशन) के मामले में ब्याज सहित 625 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया।
इसके अलावा सेबी ने मंगलवार को कंपनी के दो पूर्व प्रमुखों पर भी कार्रवाई की गई है। सेबी ने एनएसई के दो पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारियों रवि नारायण तथा चित्रा रामकृष्ण को पांच साल तक किसी सूचीबद्ध कंपनी के साथ काम करने पर प्रतिबंध लगाया। सेबी ने कहा कि एनएसई ने टिक बाई टिक (टीबीटी) आर्किटेक्चर लगाने से पहले इस पर विचार नहीं किया था।
आदेश में कहा गया है, ‘एनएसई को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल 2014 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा एवं शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी’।
‘प्राप्त वेतन के 25 प्रतिशत हिस्से को वापस करने के लिए कहा गया’
सेबी ने इस मामले में एनएसई के दो पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को एक अवधि विशेष के दौरान प्राप्त वेतन के 25 प्रतिशत हिस्से को वापस करने के लिए भी कहा है। सेबी ने इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर पांच साल तक किसी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार ढांचा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिए का काम करने वाली इकाई के साथ काम करने पर भी रोक लगाई है।
को-लोकेशन की जांच कर रहा था सेबी
सेबी को-लोकेशन को लेकर एनएसई पर जांच कर रही थी। दरअसल मामला ये है कि जल्दी जानकारी के लिए एनएसई के डाटा सेंटर में ट्रेडर्स के सर्वर लगाते हैं। इसके लिए एनएसई एक चार्ज लेता है। जुलाई 2016 में सेबी ने इसी को-लोकेशन और इससे होने वाली आय पर जांच के आदेश दिए थे।
सामने आई थी ये चूक
सेबी के अधिकारियों ने कहा था कि मार्केट रेगुलेटर को शुरुआती जांच में एक्सचेंजों की तरफ से चुनिंदा ब्रोकर्स को प्रेफरेंशियल एक्सेस दिए जाने जैसी गंभीर चूक होने का पता चला। सेबी ने जांच में एनएसई और इससे संबंधित पार्टीज के फॉर्मर और मौजूदा टॉप एग्जिक्यूटिव्स की तरफ से भी चूक होने की बात की जानकारी मिली है। रेगुलेटर ने जांच के तहत कई लोगों के बयान भी रिकॉर्ड किए हैं।