वैश्विक ब्रांड कंसल्टेंसी इंटरब्रांड की शीर्ष 100 ब्रांडों की वार्षिक रैंकिंग में दुनिया के 10 सबसे मूल्यवान ब्रांडों के बीच फेसबुक ने अपना स्थान खो दिया है। फेसबुक पिछले पूरे साल गोपनियता मसले को लेकर चर्चा में रहा था और साल भर इस मामले में जांच चली थी।
इस सूची से गिरकर फेसबुक 14वें स्थान पर आ गया है। दो साल पहले सोशल मीडिया का यह चर्चित प्लेटफॉर्म सूची में न सिर्फ आठवें स्थान पर था बल्कि एक ब्रांड के रूप में ‘लगातार सराहे जाने’ वाले ब्रांड के रूप में भी उपस्थित था।
मैकडॉनल्ड्स से भी पिछड़ा फेसबुक
100 श्रेष्ठ ब्रांड लिस्ट में एप्पल सबसे आगे है। उसके बाद गूगल और अमेजन का नंबर आता है। जबकि इस सूची में माइक्रोसॉफ्ट चौथे, कोका कोला पांचवें और सेमसंग छठे नंबर पर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा। टोयोटा सेमसंग से एक पायदान नीचे रहा और मर्सडिज आठवें स्थान पर रहे। फेसबुक मैकडॉनल्ड्स और डिज्नी से भी पीछे रह गया जो नवें और दसवें क्रम पर रहे।
अमेरिका की सॉफ्टवेयर कंपनी सेल्सफोर्स के सीईओ मार्क बेनोफ ने फेसबुक को ‘नई सिगरेट’ कहा था जो बच्चों को लती बना रहा है। माना जा रहा है कि बेनोफ के इस बयान से भी फेसबुक को काफी नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं अमेरिका के कई लोगों ने फेसबुक की आलोचना की थी। इनमें सीनेटर कमला हैरिस और एलिजाबेथ वारेन भी फेसबुक की आलोचक रह चुकी हैं। अमेरिका में लगभग 40 राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने फेसबुक के व्यापार करने के तरीकों के खिलाफ जांच में शामिल होने का फैसला किया था।
गोपनीयता उल्लंघन पर गंवाई साख
फेसबुक इस साल गोपनीयता के उल्लंघन पर अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) को समझौता करने के लिए 5 बिलियन डॉलर का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ। 2018 में स्वतंत्र अनुसंधान फर्म पोमॉन इंस्टीट्यूट के एक सर्वेक्षण के अनुसार, कैंब्रिज एनालिटिका डेटा घोटाले में 87 मिलियन उपयोगकर्ताओं को शामिल करने के बाद फेसबुक पर उपयोगकर्ताओं का विश्वास 66 प्रतिशत तक गिर गया था। फेसबुक के केवल 28 प्रतिशत उपयोगकर्ता ही मानते हैं कि फेसबुक प्राइवेसी के लिए प्रतिबद्ध है। पोमॉन ने कहा कि ‘हमने पाया कि लोग निजता को लेकर बहुत ज्यादा सजग रहते हैं और जब भी कभी डेटा को लेकर फेसबुक की तरह बड़ी धोखाधड़ी होती है तो लोग अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। जबकि कुछ लोग उस प्लेटफॉर्म पर जाना ही छोड़ देते हैं।’