फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने दूरसंचार विभाग द्वारा जारी राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 के मसौदेका स्वागत किया है। सरकार ने एक मई को जारी मसौदे में 2022 तक क्षेत्र में 40 लाख नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा गया है।
फिक्की ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा है कि भारत के आइसीटी क्षेत्र के तेजी के बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए यह मसौदा तैयार किया गया है। इसमें भारतीय नागरिक के हित को ध्यान में रखा गया है। यह इस क्षेत्र के समग्र विकास व दिशा तय करने के लिए उपयुक्त समय पर उठाया गया सही कदम है।
बयान में कहा गया है कि मसौदा नीति परामर्श-आधारित, अच्छी तरह से विचार किया गया दस्तावेज है जो संचार क्षेत्र में लगभग सभी मुद्दों जैसे लाइसेंसिंग और नियामक सुधार, लागत में कमी, सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि की समीक्षा, दूरसंचार बुनियादी ढांचे में वृद्धि, नई प्रौद्योगिकियों जैसे कि 5 जी, आइओटी और एआइ आदि से जु़ड़ा है। मसौदे में अत्याधुनिक डिजिटल आधारभूत संरचना के निर्माण पर ध्यान देने के साथ, संचार क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए वातावरण तैयार करने की बात कही गई उससे एक नए युग की शुरुआत की उम्मीद है।
फिक्की को विशेष रूप से लाइसेंसिंग सुधारों के क्षेत्र में इनपुट प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया गया था। फिक्की-आईसीटी और डिजिटल इकोनॉमी कमेटी के सदस्यों ने ने छह महीने तक काम करने के बाद जनवरी 2018 में विस्तृत सिफारिशें पेश की थीं। फिक्की द्वारा की गई सिफारिशों का काफी बड़ा हिस्सा इसमें शामिल किया गया है। फिक्की आगे भी इस मामले में सलाह देने के लिए तैयार है। जब मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा तब भी फिक्की अपने सदस्यों के साथ इसे इनपुट देने के लिए तैयार रहेगा। बयान में कहा गया है कि नई नीति संसद के मानसून सत्र तक घोषणा के लिए तैयार हो जाएगी।
नई दूरसंचार नीति के मसौदे में देश के प्रत्येक नागरिक को 50 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने, क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने और 2022 तक 40 लाख नौकरियां देने की मंशा जाहिर की गई है। मसौदे में हर नागरिक को 50 एमबीपीएस की ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के साथ, 2020 तक देश की सभी ग्राम पंचायतों को एक जीबीपीएस और 2022 तक 10 जीबीपीएस ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने का भी लक्ष्य रखा गया है।
मसौदे के अनुसार देश के विकास को नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के माध्यम से गति देने के लिए क्षेत्र में 2022 तक 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया जाएगा। मसौदे में ऋण के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को उबारने की भी प्रतिबद्धता जताई गई है। इसके लिए दूरसंचार कंपनियों की लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क, सार्वभौमिक सेवादायित्व कोष के शुल्क की समीक्षा की जाएगी, क्योंकि इन सभी शुल्कों के चलते दूरसंचार सेवा की लागत बढ़ती है। नई नीति के मसौदे में क्षेत्र में कारोबार सुगमता पर भी जोर दिया गया है।