सरकार ने पांचवें दौर में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे और अन्य गलत कार्यों में लिप्त कर अधिकारियों पर कार्रवाई की है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 21 और भ्रष्ट कर अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है।
फंडामेंटल रूल 56(जे) के तहत कार्रवाई
सूत्रों ने बताया कि आय कर और कंपनी कर संग्रह की जिम्मेदार एजेंसी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने ग्रुप बी के 21 आयकर अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी है। फंडामेंटल रूल 56(जे) के तहत जन हित में इन अधिकारियों को रिटायर किया गया है क्योंकि इन पर भ्रष्टाचार अथवा दूसरे तरह के आरोप थे और उनके खिलाफ सीबीआइ जांच चल रही थी।
जून से अब तक 85 अधिकारी सेवामुक्त
भ्रष्ट कर अधिकारियों को बर्खास्त करने के लिए जून के बाद यह पांचवां दौर है। इन्हें मिलाकर अभी तक 85 अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति देकर सेवामुक्त किया जा चुका है। इनमें 64 उच्चाधिकारी भी शामिल हैं। उच्चाधिकारियों में 12 सीबीडीटी के हैं। इससे पहले सितंबर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (सीबीआइसी) के 15 अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया था।
इन शहरों में तैनात हैं अधिकारी
सूत्रों ने बताय कि ताजा दौर में जिन अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है, उनमें तीन सीबीडीटी के मुंबई ऑफिस और दो ठाणे जिले के हैं। इसके अलवा विशाखापत्तनम, हैदराबाद, राजमुंदरी, हजारीबाग, नागपुर, राजकोट, जोधपुर, माधोपुर और बीकानेर, भोपाल और इंदौर में तैनात अधिकारियों को रिटायर किया गया है।
मोदी ने दिए थे ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई के संकेत
सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधन के अनुरूप है। उन्होंने कहा था कि संभव है कि कर प्रशासन में कुछ काली भेड़ें करदाताओं को परेशान करने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर हैं। ये अधिकारी ईमानदार करदाताओं को परेशान करते हैं और मामूली उल्लंघनों के लिए अत्यधिक कठोर कार्रवाई करते हैं।