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सरकार एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने पर कर रही काम

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए एक अप्रैल 2017 की समय सीमा तय करते हुए सरकार ने गुरुवार को इसके कार्यान्वयन के लिए विस्तृत खाका पेश किया और कहा कि इसका लक्ष्य काराधान की उपयुक्त दर तय करना है, हालांकि दर के बारे में अंतिम फैसला जीएसटी परिषद करेगी।
सरकार एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने पर कर रही काम

राज्य सभा द्वारा बुधवार को जीएसटी से जुड़े ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी देने के एक दिन बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, हमें एक ईष्टतम जीएसटी दर की जरूरत है। जीएसटी विधेयक के पारित होने से देश भर में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन का रास्ता साफ हुआ। जीएसटी के लागू होने पर उत्पाद शुल्क, बिक्री कर, सेवा शुल्क, चुंगी और अन्य तरह के कर इसमें समाहित हो जाएंगे और कर संग्रह को केंद्र तथा राज्यों के बीच बांटा जाएगा।

जीएसटी दर के बारे में जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद जिसमें केंद्र तथा राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, इस पर विचार करेगी और राजस्व अनिवार्यताओं तथा कर की दर कम करने की जरूरत को ध्यान में रखकर संतुलन कायम करेगी। जीएसटी लागू करने के खाके के संबंध में राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि सरकार एक अप्रैल 2017 को कार्यान्वयन की समयसीमा के तौर पर देख रही है। अधिया ने कहा, हमें उम्मीद है कि अगले 30 दिन के भीतर 50 प्रतिशत राज्य (करीब 16 राज्य) संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे देंगे। राज्य सभा ने कल देर शाम इस विधेयक को मंजूरी दे दी। ऊपरी सदन में विधेयक में जो बदलाव किये गये हैं उनके साथ इस सप्ताह लोकसभा में भी इस विधेयक को मंजूरी मिल जायेगी। जेटली ने कहा कि सरकार हर संभव जल्द से जल्द जीएसटी लागू करने पर काम कर रही है। अप्रैल 2017 की समयसीमा के बारे में पूछे पर वित्त मंत्री ने कहा, सख्त लक्ष्य तय करना हमेशा अच्छा होता है। जीएसटी क्रियान्वयन का मुद्रास्फीति पर असर के संबंध में जेटली ने कहा कि आने वाले वर्षों में कर की दर कम होगी और इस तरह कई जिंसों की कीमत भी कम होगी।

उन्होंने कहा, आने वाले समय में कर की दर घटेगी और यदि कर की दर घटती है तो स्वाभाविक है कि कई जिंसों की कीमत कम होगी। आने वाले दिनों में हम कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द रूपरेखा तैयार करें और इसका कार्यान्वयन करें। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद भारत में कारोबार करना आसान होगा और इससे बड़ी संख्या में व्यापारियों और कारोबारी समुदाय तथा नागरिकों को भी मदद मिलेगी। जेटली ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों की राज्य सरकारें जीएसटी के समर्थन में थीं और केंद्र ने लगभग सभी राज्यों से बात की है। उन्होंने कहा, वार्ता के आखिरी चरणों में हम विभिन्न तरह के विचारों के प्रति सकारात्मक थे लेकिन विधेयक के बुनियादी तत्वों पर समझौता किए बगैर। संसद के अगले सत्र में बाद के विधेयक पेश किए जाएंगे। कांग्रेस की जीएसटी दर 18 प्रतिशत रखने की मांग के संबंध में जेटली ने कहा कि राज्यों को अपने कार्यक्रमों के लिए राजस्व की जरूरत है जबकि केंद्र को राज्यों को भरपाई करने के लिए कोषों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि गैर-तर्कसंगत सीमा तय करने से राजस्व घाटा बढ़ेगा और वित्त मंत्री ऐसा नहीं कर सकते। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की जीएसटी की दर 18 प्रतिशत करने की मांग के संबंध में पूछने पर जेटली ने कहा, वर्तमान में जिम्मेदार होने और अतीत में जिम्मेदार होने में फर्क होता है। मौजूदा वित्त मंत्री यह नहीं कर सकता कि आप कम राजस्व इकट्ठा करें लेकिन अपना खर्च बढ़ा दें। यह पूछने पर कि जीएसटी प्रणाली में कर की दर 18 प्रतिशत होगी, जेटली ने कहा कि कर की दर कम होगी जो फिलहाल 27-32 प्रतिशत के बीच है। अंतिम फैसला जीएसटी परिषद द्वारा किया जाना है। पिछली रात राज्य सभा में मतदान से पहले अन्नाद्रमुक सदस्यों के बहिष्कार की स्थिति में तमिलनाडु के जीएसटी कार्यान्वयन के लिए साथ आने के बारे में पूछने पर जेटली ने कहा कि भारत में ऐसे राजनीतिक दल हैं जो बेहद जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, मुझे भरोसा है कि हर कोई कानूनी ढांचे का अनुपालन करेगा। मुझे कहना चाहिए तमिलनाडु सरकार ने अधिकार प्राप्त समिति की हर बैठक में प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने लगातार अपना ऐतराज जाहिर किया है लेकिन साथ ही उनकी बैठकों में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका रही है।

एजेंसी

 

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