रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए विकास दर के अनुमान में बड़ी कटौती की है। पहले इसने मौजूदा वित्त वर्ष में 6.9 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया था, अब इसे घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था की विकास दर छह साल के निचले स्तर, 5 फीसदी पर पहुंच गई थी।
निकट भविष्य में जोखिम बने रहने का अंदेशा
शुक्रवार को जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने कहा है कि 2020-21 में जीडीपी विकास दर फिर से 7 फीसदी पहुंच जाने का अनुमान है। लेकिन निकट भविष्य में जोखिम बने रहेंगे। विकास दर के अनुमान में कटौती के कारण बताते हुए इसने कहा है कि अभी तक निजी निवेश और खपत में बढ़ोतरी नहीं हुई है। विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण निर्यात भी जोर नहीं पकड़ सका है।
सितंबर तिमाही में 5.3 फीसदी ग्रोथ का अनुमान
रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जो कदम उठाए हैं, उनसे आगे निजी खपत और निवेश में बढ़ोतरी होगी। इससे वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में स्थिति में सुधार की उम्मीद है। जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.3 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर में 6.6 फीसदी और जनवरी-मार्च तिमाही में 7.2 फीसदी रहने की उम्मीद है। अगले वित्त वर्ष (2020-21) की पहली तिमाही के लिए इसने 7.2 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया है। अच्छे मानसून को देखते हुए इसने कृषि क्षेत्र की विकास दर अच्छी रहने की उम्मीद जताई है। इससे घरेलू मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
समीक्षा में राजकोषीय घाटे का जिक्र नहीं
हालांकि समीक्षा में राजकोषीय घाटे या राजकोषीय प्रबंधन के बारे में चर्चा नहीं की गई है। माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उनसे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। सरकार ने हाल के दिनों में कॉरपोरेट टैक्स दर में 10 फीसदी कटौती समेत कई कदम उठाए हैं।
नकदी संकट के कारण ऑटो सेक्टर की हालत खराब
केंद्रीय बैंक ने मांग में कमी और एनबीएफसी में नकदी संकट को ऑटोमोबाइल सेक्टर की खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार माना है। इसका कहना है कि कारों की सुरक्षा के लिए जो रेगुलेटरी कदम उठाए गए हैं, उनसे भी बिक्री प्रभावित हुई है। आरबीआई का मानना है कि क्षमता का इस्तेमाल बढ़ने के बावजूद कॉरपोरेट सेक्टर निवेश नहीं बढ़ा रहा है। हालांकि हाल में सरकार द्वारा उठाए कदमों के बाद कंपनियां निवेश करेंगी।
खुदरा महंगाई 3.5 से 3.7 फीसदी रहने के आसार
इसने कहा है कि अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 की छमाही में खुदरा महंगाई 3.5 से 3.7 फीसदी रहने के आसार हैं। सितंबर तिमाही में महंगाई दर 3.6 फीसदी रहने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने लांग टर्म में औसत महंगाई दर 4 फीसदी तय कर रखा है। अगस्त में महंगाई दर 3.8 फीसदी रही थी।