प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि दिवाली तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती कर दी जाएगी जिससे रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली वस्तुओं की कीमतें कम हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि इससे आम आदमी को ‘काफी’ कर राहत मिलेगी और छोटे एवं मध्यम उद्यमों को भी लाभ होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जीएसटी के आठ वर्ष पूरे होने के साथ ही इसमें सुधार करने का समय आ गया है। जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था।
मोदी ने कहा, ”इस दिवाली, मैं आपके लिए इसे दोहरी दिवाली बनाऊंगा।”
लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमने राज्यों के साथ इस बारे में चर्चा की है और हम दिवाली तक अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लागू करेंगे, जो नागरिकों के लिए दिवाली का तोहफा होगा।” उन्होंने कहा, ‘आम आदमी के जरूरत वाली वस्तुओं पर कर में काफी कमी की जाएगी। हमारे एमएसएमई को इसका बहुत फायदा होगा। दैनिक उपयोग की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।’ उन्होंने इसका अधिक विवरण न देते हए कहा कि जीएसटी के लिए अगली पीढ़ी के सुधारों की योजना ‘नागरिकों के लिए दिवाली का तोहफा’ होगी।
राज्यों के वित्त मंत्रियों वाला एक मंत्री-समूह (जीओएम) पहले ही जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने और कर स्लैब में कटौती पर चर्चा कर रहा है।
प्रधानमंत्री के संबोधन के तुरंत बाद केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने जीएसटी सुधारों के लिए केंद्र का खाका पेश किया, जो संरचनात्मक सुधारों, दरों को युक्तिसंगत बनाने और जीवन को आसान बनाने के तीन बिंदुओं पर आधारित होगा।
आठ साल पुरानी इस कर प्रणाली में उत्पाद शुल्क जैसे केंद्रीय कर और मूल्यवर्धित कर (वैट) जैसे राज्य शुल्कों को एकसाथ मिला दिया गया था। इससे अप्रत्यक्ष कर आधार दोगुना होकर 1.52 करोड़ हो गया है, लेकिन कर दरों में कटौती और कोविड महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियों में कमी के चलते एकत्रित शुद्ध राजस्व हाल ही में जीएसटी-पूर्व स्तर पर पहुंच गया है।
दूसरी ओर जीएसटी के कारण कथित कर चोरी के मामलों और मुकदमेबाजी में भी वृद्धि देखी गई है।
इस समस्या के समाधान के लिए वित्त मंत्रालय ने जीएसटी परिषद द्वारा गठित जीओएम को दो स्लैब वाली जीएसटी दर संरचना और साथ ही चुनिंदा वस्तुओं के लिए विशेष दरों का प्रस्ताव दिया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीओएम के साथ साझा किया गया केंद्र का प्रस्ताव तीन बिंदुओं- संरचनात्मक सुधार, दरों को युक्तिसंगत बनाने और जीवन को आसान बनाने पर आधारित है।
इस प्रस्ताव में आम आदमी के जरूरत की वस्तुओं और आकांक्षावान वस्तुओं पर करों में कमी शामिल है।
जीएसटी प्रणाली के तहत दो स्लैब- मानक और योग्यता का प्रस्ताव रखा गया है। विशेष दरें केवल कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर ही लागू होंगी। इस समय जीएसटी दर की पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार स्तरीय संरचना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की बैठक सितंबर में होने की उम्मीद है, जिसमें दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए मंत्री-समूह के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी।