आयकर रिटर्न दाखिल करने का मौसम आ गया है, और वेतनभोगी लोगों के लिए इसका मतलब है सैलरी स्लिप, निवेश प्रमाण-पत्र और आयकर पोर्टल में लॉग इन करना। लेकिन इस साल कुछ चीजें अलग हैं, और उससे कुछ आपकी कर देयता प्रभावित हो सकती है या अगर सही तरीके से दाखिल नहीं किया गया तो रिफंड में देरी हो सकती है। तो, क्या बदला है, क्या नहीं बदला है, और वित्त वर्ष 2024-25 (एवाइ 2025-26) के लिए रिटर्न दाखिल करने की तैयारी करते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। कर व्यवस्था का सवाल अब वैकल्पिक नहीं। पहले, डिफॉल्ट पुरानी कर व्यवस्था थी, जिसमें कई कटौतियां, रियायतें और सब कुछ था। अब, आप अगर सावधानी से विकल्प न चुनें, तो नई कर व्यवस्था खुद-ब-खुद लागू हो जाती है। इसलिए, आपने अपने नियोक्ता को अगर नहीं बताया है या रिटर्न दाखिल करते समय सही विकल्प नहीं चुना है, तो आप नई कर व्यवस्था के तहत आ जाएंगे। नई व्यवस्था में कर स्लैब जरूर घटा दी गई है, लेकिन इसमें अधिकांश कटौतियों को हटा दिया गया है, जिस पर बहुत से लोग भरोसा करते हैं। इसलिए यह सवाल नहीं है कि आम तौर पर कौन-सा बेहतर है, असली सवाल है कि इस साल आपके हक में क्या है। कुछ लोगों के लिए मकान किराया भत्ता (एचआरए) और 80सी के तहत कटौती की पुरानी प्रणाली के हक में है। निर्णय लेने से पहले अपने फॉर्म 16 पर ठीक से गौर करें।
बढ़ी समय सीमा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस वर्ष आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दिया है। यह इस वर्ष आइटीआर फॉर्म और घोषित कुछ हालिया बदलावों को देखते हुए किया गया है।
आइटीआर 1 और आइटीआर 4 में बदलाव बदलाव
लगभग सभी आइटीआर फॉर्म में किए गए हैं, लेकिन वेतनभोगी लोगों के लिए सबसे खास बदलाव आइटीआर 1 और आइटीआर 4 फॉर्म में है, जो पूंजीगत लाभ (सूचीबद्ध इक्विटी) से आय दर्ज करने से संबंधित है। अब, वेतनभोगी करदाता और कराधान योजना के तहत आने वाले ऐसे लोग जिनके पास एक वित्तीय वर्ष में 1.25 लाख रुपये तक का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ है, उन्हें क्रमशः आइटीआर-1 और आइटीआर-4 दाखिल करना होगा। पहले, जो पूंजीगत लाभ की रिपोर्ट करना चाहते थे, उन्हें आइटीआर-2 दाखिल करना होता था।
फॉर्म 16 पर ही निर्भर न रहें, सब कुछ दोबारा जांच करें
सही आइटीआर फॉर्म चुनें (यह सिर्फ सैलरी के बारे में नहीं है)
यह मान लेना आसान है कि अगर आप सैलरी वाले हैं और उसके अलावा कोई आमदनी कुछ नहीं है, तो आटीआर-1 सही फॉर्म है। यह इस मामले में वाजिब है, अगर आपकी कुल आय 50 लाख रुपये से कम है, और आपके पास सिर्फ एक घर है और कुछ बुनियादी बचत खातों का ब्याज है। लेकिन आपने अगर शेयरों में निवेश किया है, पूंजीगत लाभ दर्ज किया है, या एक से ज़्यादा प्रॉपर्टी से किराया आता है, तो आपको आइटीआर-2 भी भरना होगा। गलत फॉर्म भरने से आपका रिटर्न गड़बड़ हो सकता है, जिसे बाद में ठीक करना मुश्किल हो सकता है।
बचत खातों, सावधि जमाओं या यहां तक कि कर रिफंड पर मिलने वाला ब्याज सब मायने रखता है। ये अक्सर छूट जाते हैं, खासकर तब जब रकम इतनी छोटी लगती है कि कौन गौर करे। लेकिन बैंकों और म्यूचुअल फंड से डेटा रिपोर्टिंग की बदौलत अब कर विभाग सब कुछ देख सकता है। अनजाने में भी उनका खुलासा न करने पर सवाल उठ सकते हैं या जुर्माना लग सकता है। बेहतर होगा कि सब कुछ पहले ही बता दिया जाए।
कर-बचत निवेश की भूमिका बनी हुई है, चाहे छूट मिले या न मिले
नई व्यवस्था के तहत आप धारा 80सी या एचआरए जैसी बुनियादी कटौती और छूट का दावा नहीं कर सकते। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पीपीएफ, ईएलएसएस या एनपीएस जैसे निवेशों का अब कोई मतलब नहीं है। ये अभी भी ठोस दीर्घकालिक बचत उपाय हैं।
मसलन, पीपीएफ कर-मुक्त रिटर्न प्रदान करता है। ईएलएसएस फंड समय के साथ आपकी संपत्ति बढ़ा सकते हैं। इनमें कई उपाय लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं, जो बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान आपकी बचत को बरकरार रखने में मदद करता है। भले वे इस साल आपके कर में कटौती न करें, फिर भी वे आपके भविष्य के लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।
क्या आप एचआरए क्लेम करने की योजना बना रहे हैं?
अगर आप किराया दे रहे हैं और एचआरए क्लेम करने के योग्य हैं, तो आपको लग सकता है कि पुरानी व्यवस्था अभी भी बेहतर है। अगर आप योग्य नहीं हैं, या छूट न्यूनतम है, तो नई व्यवस्था ज्यादा साफ-सुथरी और ज्यादा कर-कुशल हो सकती है। इसका कोई सबके लिए एक समान उत्तर नहीं है। यह उन आंकड़ों पर निर्भर करता है जो आपके हक में है।
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सबसे अहम बात
पिछले कुछ साल में कर विभाग बहुत ज्यादा डेटा-संचालित हो गया है। अब बहुत-सी जांच डिजिटल हो गई है, जिसका मतलब है कि गलतियां, चूक या विसंगतियां अनजाने में भी पकड़ी की जा सकती हैं। इसलिए, भले ही आइटीआर दाखिल करने को सालाना काम की तरह लेना सही हो, लेकिन इस बार धीरे-धीरे काम करना, दस्तावेजों की दोबारा जांच करना, सही फॉर्म का इस्तेमाल करना और समय-सीमा के अंत में भीड़ से पहले दाखिल करना उचित है।
सौजन्य: आउटलुक मनी