उन्होंने कहा, चीन ने जो 15 साल में हासिल किया, वह काफी उत्साहजनक है। चीन की अर्थव्यवस्था 15 साल पहले 2,000 अरब डालर की थी और आज वह 10,000 अरब डालर की है। नीति आयोग 15 साल का दृष्टिकोण पत्र का खाका तैयार कर रहा है जो विकासशील भारत को समावेशी वृद्धि के साथ बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में तब्दील करने के लिये रूपरेखा उपलब्ध कराएगा। विश्लेषकों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को 10,000 अरब डालर का बनने के लिये अगले 15 साल में 10 प्रतिशत से अधिक दर से विकास करना होगा।
द्विपक्षीय सहयोग के बारे में पनगढि़या ने कहा, चीन बाहर किये जाने वाले निवेश को बढ़ावा दे रहा है और भारत विदेशी पूंजी एवं प्रौद्योगिकी चाहता है, इससे हमें आपस में मिलकर लाभ उठाना चाहिए और हमें द्विपक्षीय निवेश संबंधों को मजबूत बनाने के लिये एक बेहतर मसौदा रखना चाहिए। उनका कहना था कि भारत के पास विनिर्माण क्षेत्र में चीनी अनुभव से लाभान्वित होने और देश को आधुनिक शहरी अर्थव्यवस्था में तब्दील करने की काफी गुंजाइश है। अरविंद पनगढिया ने धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत और चीन को दो दुर्लभ आकर्षक स्थल बताया। वृद्धि दर में गिरावट के बावजूद चीन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि में उल्लेखनीय रूप से 500 अरब डालर या उससे अधिक का योगदान किया है।
चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफार्म कमीशन (एनडीआरसी) के चेयरमैन शु साओशी ने कहा, चीन और भारत दो महत्वपूर्ण ताकत हैं। वे एशिया और दुनिया के लिये एक शक्ति हैं। दोनों देशों के लिये द्विपक्षीय संबंधों से आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों देशों के पास दुनिया को अधिक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी जगह बनाने की क्षमता है। साओशी व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों के एक दल के साथ दो दिवसीय 6-7 अक्तूबर को भारत-चीन रणनीतिक आर्थिक वार्ता में भाग लेने के लिये यहां आये हुए हैं।
भाषा