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दवाईयों के नए शोध पर इंडिया फार्मा वीक में होगा खुलासा

हेल्थ सेक्टर में नई तकनीक और नए शोध को उतारने के लिए मुम्बई में 17 नवम्बर से एक्सपो का आयोजन होने जा रहा है। जिसमें दवाओं के नए शोध पर दुनिया भर के दिग्गज अपनी राय रखेंगे। सीपीएचआई एवं पी-मैक इंडिया’ नाम के इस एक्सपो में हेल्थ सेक्टर से जुड़ी तमाम नई तकनीकों व शोध को प्रस्तुत किया जाएगा।
दवाईयों के नए शोध पर इंडिया फार्मा वीक में होगा खुलासा

एक्सपो का दसवां संस्करण होने के कारण विशेष तैयारियां की गई हैं। जिसकी शुरूआत प्री-कनेक्ट कांग्रेस के रूप में 17 नवम्बर से होगी और हफ्ते भर तक इनोवेटिव प्रोग्राम होंगे। इसे ‘इंडिया फार्मा वीक’ का नाम दिया गया है। इस एक्सपो को फार्मा सेक्टर का यह सबसे बड़ा एक्सपो माना जाता है। इसका आयोजन यूबीएम इंडिया कर रहा है। इस बार इस एक्सपो को मुम्बई में दो जगहों बॉम्बे एक्जीबिशन सेंटर (बीईसी) और एमएमआरडीए ग्राउंड, बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स (बीकेसी) में आयोजित किया जा रहा है। ‘सीपीएचआई एवं पी-मैक इंडिया’ एक्सपो में इस बार 100 देशों की कंपनियां शिरकत कर रही हैं। 
 
यूबीएम इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने बताया कि सीपीएचआई एवं पीमैक इंडिया 2016 भारत में फार्मास्युटिकल से जुड़ी हर कंपनी को व्यापक मंच उपलब्ध कराएगा। इस एक्सपो में हेल्थ सेक्टर में नई टेक्नोलॉजी के साथ-साथ नई और सस्ती दवाईयों पर भी बात होगी। उन्होंने बताया कि यह दक्षिण एशिया के सबसे बड़े फार्मा फार्मास्युटिकल नेटवर्किंग कार्यक्रम सीपीएचआई एवं पी-मैक इंडिया- 2016 एक्सपो है। उन्होंने करीब 13 सौ एक्जीबिटर तथा 40 हजार विजिटर के आने की उम्मीद जताई है। एक्सपो के इंडिया फार्मा वीक-2016 के दौरान ‘द वुमेन इन फार्मा-पावर ब्रेकफास्ट’, इंडिया फार्मा अवार्ड्स, सीईओ गोलमेज, प्लांट विजिट, फार्मा लीडर्स गोल्फ आदि कार्यक्रम होंगे। ‘द वुमेन इन फार्मा-पावर ब्रेकफास्ट’ प्रोग्राम में फार्मा सेक्टर से जुड़ी महिलाएं हिस्सा लेंगी। इसमें सिपला की कार्यकारी उपाध्यक्ष समीना वजीराली, फाइजर की सीनियर मेडिकल डायरेक्टर डा. अनुरिता मजूमदार, मेडिकल एबॉट की निदेशख डा. रश्मि हेगड़े जैसी फार्मा सेक्टर की दिग्गज महिलाएं उपस्थित होंगी। 
 
गौरतलब है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक भारत का फार्मास्युटिकल निर्यात 11.44 फीसदी सालाना बढ़ रही है। भारत दुनियाभर में सामान्य दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है। वर्तमान में एड्स के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के 80 फीसदी हिस्से की आपूर्ति भारतीय फार्मास्युटिकल फर्मों से हो रही है। 

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