सरकार डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। आम लोगों के बीच इनकी लोकप्रियता भी बढ़ रही है और अब देश में रोजाना हजारों करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन हो रहे हैं लेकिन साइबर हमले इसकी राह में बाधा पैदा कर रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी कंपनी फोर्सप्वाइंट और आइटी एनालिस्ट फर्म फ्रोस्ट एंड सुलिवेन की एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि भारतीय कंपनियां डिजिटल ट्रांजेक्शन से जुड़े खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हंै।
61 फीसदी संगठनों की डिजिटल यात्रा पर असर
स्टडी का कहना है कि देश की 95 फीसदी कंपनियां और फर्म देश की डिजिटल क्रांति की यात्रा में शामिल हैं। लेकिन सर्वे में शामिल 61 फीसदी संगठनों ने कहा कि साइबर हमलों के कारण उनकी डिजिटाइजेशन प्रोग्रेस प्रभावित हो रही है। जिन कंपनियों ने डिजिटल बदलाव के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया, उनमें से 46 फीसदी सुरक्षा संबंधी संकटों का सामना करना पड़ा और 20 फीसदी संगठनों ने पिछले 12 महीनों में नियमित रूप से खतरों का आंकलन नहीं करवाया।
साइबर सिक्योरिटी के लिए परिपक्वता कम
सर्वे के अनुसार सिर्फ 18 फीसदी कंपनियों ने डिजिटल बदलाव के प्रोजेक्ट की शुरूआती अवस्था में साइबर सिक्योरिटी के बारे में विचार किया। इससे डिजिटल प्रोजेक्ट बनाते समय साइबर सिक्योरिटी को लेकर कपनियों का कम परिपक्व नजरिया दिखाई देता है।
पहले ही व्यवस्था करने से बचना आसानः विशेषज्ञ
स्टडी के अनुसार 71 फीसदी कंपनियां सोचती है कि साइबर सिक्योरिटी के बारे में प्रोजेक्ट चालू होने के बाद सोचना होता है। फ्रोस्ट एंड सुलिवेन के केनी यो ने कहा कि कंपनियों के सिक्टोरिटी आर्किटेक्चर में समुचित प्रबंध करने से संभावित खतरों और साइबर हमलों को पहचाना जा सकता है और उनसे बचा जा सकता है।