नई दिल्ली। मोदी सरकार के लिए अपने दूसरे कार्यकाल की पहली बड़ी खबर अच्छी नहीं है। दुनिया की सबसे तेज इकोनॉमी के रूप में बढ़ने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था अपने पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर 5.8 फीसदी पर आ गई है। इसके पहले तीसरी तिमाही में यह 6.6 फीसदी पर थी। जीडीपी ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही है। ग्रोथ रेट सात फीसदी से नीचे गिरने की सबसे बड़ी वजह यह है कि यह बीते वित्त वर्ष की पहली तिमाही से ही लगातार गिर रही है। इसके पहले 2013-14 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4 फीसदी के सबसे निचले स्तर पर पहुंची थी।
आठ से गिरकर 5.8 फीसदी पर
केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की शुरूआत में अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन कर रही थी। पहली तिमाही में जहां ग्रोथ 8.0 फीसदी थी, वहीं दूसरी तिमाही आते-आते मंदी का असर दिखने लगा, ग्रोथ रेट सीधे एक फीसदी गिरकर 7.0 फीसदी तो तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर आ गई।
इन वजहों से गिरी ग्रोथ
आंकड़ों के अनुसार जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट की अहम वजह प्रमुख क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन करना रहा है। कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र में ग्रोथ रेट 5.0 फीसदी से गिरकर 2.9 फीसदी, खनन उद्योग 5.1 फीसदी से गिरकर 1.3 फीसदी, बिजली , गैस , पान सहित क्षेत्र 8.6 फीसदी से गिरकर 7.0 फीसदी, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि क्षेत्र 7.8 फीसदी से गिरकर 6.5 फीसदी पर आ गया है। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 5.9 फीसदी से बढ़कर 6.9 फीसदी हो गया है, जो थोड़ी राहत की खबर है।
चीन से भी पिछड़े
चौथी तिमाही के आंकड़े आने के बाद अब भारतीय अर्थव्यवस्था चीन से पिछड़ गई है। चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4 फीसदी थी। जबकि भारत की ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी पर आ गई है। सीधा मतलब है कि फिलहाल दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा भी हट गया है।