विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि आपातकालीन प्रमाणपत्र विशेष रूप से किसी भारतीय नागरिक को भारत लौटने के लिहाज से उपलब्ध यात्रा दस्तावेज है और माल्या को यह सुविधा उपलब्ध है। माल्या ने दिल्ली की एक अदालत से कहा था कि वह भारत आना चाहते हैं लेकिन पासपोर्ट निलंबित किए जाने के चलते वह वापस लौटने में असमर्थ हैं। इस बारे में पूछे जाने पर स्वरूप ने कहा, हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। कोई भी भारतीय नागरिक जो भारत के बाहर रहता है और जिसके पास किसी कारण से कोई वैध यात्रा दस्तावेज नहीं है तो उसे केवल सबसे नजदीकी भारतीय दूतावास या उच्चायोग आना होगा और आपातकालीन प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करना होगा। माल्या फिलहाल लंदन में हैं। उन्होंने फेरा उल्लंघन के एक मामले में समन की अवहेलना करने पर दर्ज मामले में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने वकील के माध्यम से यह दलील दी थी।
अदालत ने नौ जुलाई को माल्या को निजी तौर पर पेश होने से मिली छूट निरस्त कर दी थी और उन्हें पेश होने का निर्देश दिया था। वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता के माध्यम से दाखिल अपने आवेदन में माल्या ने अदालत से अनुरोध किया कि कुछ वक्त दिया जाए ताकि वह पेश हो सकें। वकील ने माल्या के भेजे ईमेल की प्रति जमा की जिसमें कहा गया है कि उन्हें पक्ष रखने का मौका दिए बिना 23 अप्रैल, 2016 को उनके पासपोर्ट को निलंबित कर दिया गया। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत से कहा कि माल्या कई अन्य मामलों में पहले ही कार्यवाही से बच रहे हैं। अदालत ने आगे सुनवाई के लिए चार अक्तूबर की तारीख तय की है। ईडी ने वकील एन के मट्टा के माध्यम से माल्या के खिलाफ अपनी याचिका में उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने की मांग की।