बैंकों के समूह की ओर से उपस्थित अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ तथा न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ को बताया कि माल्या ने फरवरी में उन्हें मिले 4 करोड़ डॉलर का खुलासा नहीं किया है, जबकि उन्होंने अपना जवाब मार्च में दाखिल किया था।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के नियमों के अनुसार अवमानना याचिका के तहत नोटिस जारी होने पर माल्या को अदालत में पेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि माल्या को खुद पेश होने के मामले में कोई छूट नहीं दी गई है। ऐसे में उनकी और दलीलों को नहीं सुना जाना चाहिये। माल्या की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि माल्या ने शीर्ष अदालत के पिछले आदेश को वापस लेने की याचिका दायर की है और उनकी तरफ से किसी तरह की कोई अवमानना नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के संपत्ति के खुलासा करने के पूर्व के आदेश का अनुपालन किया गया है।
पीठ ने इसके बाद अटॉर्नी जनरल से अदालत के पहले के आदेश को वापस लेने के संबंध में दायर माल्या की याचिका पर अपना जवाब देने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी।
भाषा