समिति के सूत्रों ने कहा कि पटेल रिजर्व बैंक तथा वित्त मंत्रालय के कुछ अधिकारियों की टीम के साथ वित्त पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश हुए। सदस्यों ने उनके समक्ष कई मुश्किल सवाल रखे। बैंकिंग प्रणाली में स्थिति कब तक सामान्य होगी और 50 दिन की निर्धारित अवधि में कितने पुराने नोट जमा हुए, ऐसे कुछ अटपटे सवाल थे जिनका वह कोई सीधा जवाब देने की स्थिति में नहीं दिखे।
समिति के सदस्यों की ओर से अभी पटेल की और खिंचाई होती, इससे पहले मनमोहन ने कहा कि एक संस्थान के रूप में केंद्रीय बैंक और गवर्नर के पद का सम्मान किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में नोटबंदी पर अपने भाषण में इसे ऐतिहासिक विफलता तथा संगठित लूट कह कर इसकी तीखी आलोचना की थी।
मनमोहन सिंह खुद रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके हैं। समझा जाता है कि उन्होंने समिति से कहा कि आरबीआई गवर्नर से अटपटे सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए। नकदी निकासी की सीमा को हटाए नहीं जाने के बारे में एक सदस्य के सवाल पर सिंह ने पटेल से कहा कि उन्हें इसका जवाब देने की जरूरत नहीं है।
भाषा