आरबीआई की हालिया रिपोर्ट में सामने आए नोटबंदी के आकड़ों और जीडीपी की विकास दर में आई गिरावट से मोदी सरकार के दावों की पोल खुलती नजर आ रही। साथ ही नोटबंदी को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह की कही बातें भी अब हकीकत होती दिखाई दे रही है।
विपक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि सरकार के द्वारा नोटबंदी का फैसला विध्वंशक रहा। हालांकि सरकार नोटबंदी के फायदे गिना रही है, साथ ही कह रही है कि नोटबंदी का जीडीपी की ग्रोथ में आई गिरावट से कोई लेना-देना नहीं है।
आपको बता दें कि नोटबंदी लागू होने के समय से विपक्ष द्वारा सरकार के इस फैसले पर आशंका व्यक्त की जा रही थी कि इससे अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंच सकती है। यहां तक कि 24 नवंबर 2016 को संसद में बहस के दौरान भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकार को नोटबंदी को लेकर चेतावनी भी दी थी।
देखिए, डॉ. मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को लेकर क्या-क्या आशंकाएं जाहिर की थी..
ये थी आशंकाएं
-नोटबंदी का असर क्या होगा मुझे नहीं पता। इससे लोगों का बैंकों में विश्वास खत्म होगा।
-जीडीपी में 2 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
-इससे छोटे उद्योगों और कृषि को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
मनमोहन की अहम बातें
-मैं नोटों को रद्द किए जाने के उद्देश्यों से असहमत नहीं हूं, लेकिन इसे ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया।
-प्रधानमंत्री बताएं कि ऐसा कौन सा देश है जहां लोग बैंक में पैसा जमा करा सकते हैं लेकिन अपना पैसा निकाल नहीं सकते हैं।
-लंबे समय में असर की बात हो तो उस अर्थशास्त्री की बात याद करें- दीर्घकाल में तो हम सब मर चुके होंगे।
-बैंक हर दिन नियम बदल रहे हैं जिससे लगता है कि पीएमओ और रिजर्व बैंक ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
99 फीसदी नोट वापस आए
आरबीआई ने वर्ष 2016-17 की अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि नोटबंदी के तहत कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 1000 और 500 रुपये के नोट चलन से बाहर किये गए थे। इनमें से 30 जून, 2017 तक कुल 15.28 लाख करोड़ रुपये के करेंसी नोट आरबीआई में वापस आ चुके हैं। यानी बंद हुए 98.96 फीसदी नोट वापस बैंकों में जमा हो गए। कुल 16,000 करोड़ रुपये के पुराने नोट वापस नहीं आए हैं, जो बंद हुए नोटों का करीब एक फीसदी हैं।
जीडीपी की ग्रोथ रेट: सही साबित हुई मनमोहन की आशंका?
वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रेल-जून) में जीडीपी की ग्रोथ तीन साल के न्यूनतम स्तर पर 5.7 पर आ गई है। लगातार तीसरी तिमाही में नोटबंदी के चलते जीडीपी की ग्रोथ पर असर दिखाई दिया है। मैन्युफैक्चरिंग से जुडे उद्योग-धंधो में सुस्ती को जीडीपी ग्रोथ में कमी की प्रमुख वजह माना जा रहा है। इससे पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 7.9 फीसदी थी।