देश के टेलीकॉम सेक्टर पर संकट गहराने के बावजूद सरकार टेलीकॉम कंपनियों पर बकाए एजीआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन, उद्योग की सेहत और उपभोक्ता हितों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास कर रही है। हालांकि भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल ने उद्योग की मदद के लिए तुरंत कदम उठाने की फिर जरूरत बताई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सबसे ज्यादा मुश्किल में फंसी वोडाफोन आइडिया ने गुरुवार को 1000 करोड़ रुपये और अदा कर दिए जबकि मित्तल की भारती एयरटेल ने अंतिम तारीख 17 मार्च से पहले पूरा बकाया चुकाने का वादा किया है। लेकिन उनका कहना है कि सरकार को उद्योग को संकट से उबारने के लिए टैक्स में कटौती करनी चाहिए। उन्होंने पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और टेलीकॉम मंत्री रवि शंकर प्रसाद से मुलाकात करके उद्योग की चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
किए जा रहे हैं सरकारी स्तर पर प्रयास
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सरकार के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं जिससे बकाए पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन भी हो सके और उद्योग की सेहत के साथ उपभोक्ता हितों की भी रक्षा हो सके। यद्यपि अधिकारी ने सरकारी उपायों का कोई संकेत नहीं दिया है लेकिन जानकारों का कहना है कि सरकार थ्री प्लस वन मॉडल पर प्रतिस्पर्धा बनाए रखना चाहती है। इस मॉडल के अनुसार तीन प्राइवेट कंपनियां और एक सरकारी कंपनी बाजार में रहनी चाहिए।
इन कंपनियों पर है बकाया
दूरसंचार विभाग के अनुसार वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये बकाया है। कंपनी ने इस सप्ताह 3500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। भारती एयरटेल ने 10,000 करोड़ और टाटा टेलीसर्विसेज ने 2197 करोड़ रुपये चुकाए हैं। अब तक कंपनियां करीब 16,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी हैं। कुछ कंपनियों ने जल्दी ही भुगतान करने का वादा किया है।