नई दिल्ली। घाटे में चल रही सार्वजनिक कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलिकॉम नेटवर्क लिमिटेड (एमटीएनएल) के रिवाइवल पैकेज का सरकार ने ऐलान कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बुधवार को बीएसएनएल में एमटीएनएल के विलय का फैसला किया है। इसके अलावा कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम (वीआरएस) की मंजूरी भी सरकार द्वारा दी गई है। इसके तहत 50 और उससे ज्यादा के उम्र के कर्मचारी (वीआरएस) का फायदा ले सकेंगे। साथ ही सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को टक्कर देने के लिए बीएसएनएल को 4 जी स्पेक्ट्रम आवंटित करने का भी फैसला किया है। बीएसएनएल को साल 2018-19 में 14 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इसकी वजह से उसके 1.76 लाख कर्मचारियों की सैलरी पिछले कई महीनों से समय पर नहीं मिल रही है। जबकि एमटीएनएल को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 1054 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
4 जी स्पेक्ट्रम के लिए 20 हजार करोड़ देगी सरकार
कैबिनेट की फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सरकार करीब 29 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी। इसके तहत 20140 करोड़ रुपये 4जी स्पेक्ट्रम के लिए सरकार द्वारा कंपनी को दिए जाएंगे। साथ ही वीआरएस के लिए सरकार करीब 17169 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बीएसएनएल काफी समय से सरकार से यह मांग कर रही थी कि उसे 4जी स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाय। ऐसा नहीं होने से वह 4जी और 5जी के दौर में अपने ग्राहकों को निजी कंपनियों की तरह सेवाएं नहीं दे पा रही थी।
कंपनी बेच सकेगी अपनी संपत्तियां
सरकार ने बीएसएनएल की एक और बड़ी मांग को स्वीकार कर लिया है। इसके तहत कंपनी और उसके रिवाइवल के लिए गठित समितियों ने बीएसएनएल के एसेट को बेचने की सिफारिश कर चुके हैं। अब कैबिनेट की मंजूरी के बाद कंपनी अपने एसेट बेच सकेगी। इसके अलावा सरकार ने 15000 करोड़ रुपये के बांड भी जारी करने का फैसला किया है। जो कि लंबी अवधि के होंगे जिस पर भारत सरकार की गारंटी होगी। सरकार चार साल में 38 हजार करोड़ रुपये के एसेट मोनेटाइज करेगी।
बीएसएनएल का सफर
- एक अक्टूबर 2000 को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ऑपरेशंस और सर्विसेज को मिलाकर भारत संचार निगम लिमिटेड का गठन किया गया
- 2001-02 में 6,312 करोड़ मुनाफे के साथ देश की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली सार्वजनिक कंपनी बनी
- कंपनी ने 2002 में सेल वन नाम से शुरू की मोबाइल सेवाएं, हालांकि निजी कंपनियों ने 1995 -96 से अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी थी
- बढ़ती कमाई से 2007-08 में कंपनी के पास 37,162 करोड़ रुपये की नकदी थी
- 2009-10 में पहली बार कंपनी को 1,822 करोड़ रुपये का घाटा हुआ
- 2012 में कंपनी ने 3जी सेवाएं शुरू की, 3जी लाइसेंस और वाइमैक्स तकनीक के इस्तेमाल पर कंपनी को 19 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़े
- गठन के समय कर्मचारियों पर कमाई का कुल खर्च 22 फीसदी था, जो अब बढ़कर 75 फीसदी तक पहुंच चुका है
- फरवरी 2019 में पहली बार कर्मचारियों की सैलरी अटकी
- केरल एकमात्र सर्किल है जो कंपनी के लिए फायदेमंद है। बाकी 21 सर्किल में कंपनी को घाटा हो रहा है
- जून 2019 तक कंपनी पर 11,788 करोड़ रुपये की देनदारी हो चुकी है
- डाटा के दौर में कंपनी के पास अभी तक 4जी लाइसेंस नहीं है
- 15 साल में कंपनी की मोबाइल ग्राहकों में हिस्सेदारी 15 फीसदी से घटकर 10 फीसदी पर आ गई है
बीएसएनएल की कैसे घाटे का सौदा बन गई और कौन है इसका जिम्मेदार, इसके लिए क्लिक करें ये खबर...
https://www.outlookhindi.com/country/issues/government-policies-have-brought-bsnl-to-the-brink-of-recession-know-the-whole-story-of-bsnl-39425
कैबिनेट के फैसले से संबंधित खबरों को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें...