ट्रेड यूनियनों के मुताबिक सरकार ने उनकी बातें मानने से इंकार कर दिया है इसलिए हड़ताल कर रहे है। यूनियनों का दावा है कि सरकार श्रम कानून को लेकर शिथिलता बरत रही है। साथ ही श्रमिक विरोधी कामों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए यह हड़ताल बेहद जरुरी है। यूनियनों का दावा है कि हड़ताल में 18 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं। पिछले साल भी ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल की थी। लेकिन माना जा रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल हड़ताल बड़ी हो सकती है।
यूनियनों के मुताबिक हड़ताल में कोल इंडिया, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी और भेल जैसी कंपनियों में कामकाज ठप्प रहेगा। इसके साथ ही बिजली, परिवहन खनन, रक्षा, टेलीकॉम और बीमा क्षेत्र भी प्रभावित होने की संभावना है। कुछ जगहों पर आॅटों रिक्षा यूनियन के हड़ताल में शामिल होने के कारण यातायात व्यवस्था भी चरमराने के आसार है। अस्पातलकर्मियों ने भी हड़ताल को समर्थन देने का एलान किया है। हालांकि रेलवे कर्मचारी हड़ताल में हिस्सा नहीं लेगें। इससे माना जा रहा है कि रेलवे के परिचालन में किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं होगी।