हाल ही के वर्षों में नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल कंपनियां (एनबीएफसी) आर्थिक विकास, खासतौर पर ग्रामीण भारत के विकास को बढ़ावा देने में गेम चेंजर की भूमिका निभा रही हैं। अपने अनूठे बिज़नेस मॉडल और आधुनिक वित्तीय समाधानों के साथ एनबीएफसी ग्रामीण समुदायों को सशक्त बना रहे हैं। यह लेख इस बात पर रोशनी डालता है कि किस तरह एनबीएफसी ने ग्रामीण भारत को गति प्रदान कर अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न किया है। ग्रामीण लोगों के लिए ऋण लेना हमेशा से बड़ी चुनौती रहा है। ऐसे में आसानी से ऋण न मिलने के कारण उन्हें नया व्यवसाय शुरू करने, अपने कृषि कारोबार को बढ़ाने या शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
जहां एक ओर बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पारम्परिक बैंक दूर-दराज के इन इलाकों तक अपनी सुविधाएं नहीं पहुंचा पाते, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण लोगों में इनकी सेवाओं के बारे में जागरुकता की भी कमी होती है। और यहीं पर एनबीएफसी कारगर साबित होते हैं। ये संस्थान ग्रामीण भारत के उन लोगों को आसान ऋण एवं वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, जो आज भी बैंकिंग सुविधाओं से वंचित हैं।
एनबीएफसी ने ग्रामीण उपभोक्ताओं की इन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आधुनिक तरीके अपनाए हैं। वे नई तकनीकों का उपयोग कर लागत प्रभावी एवं आसान तरीकों से फाइनैंशियल प्रोडक्ट्स और सेवाएं लेकर आते हैं। मोबाइल बैंकिंग एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते चलन के साथ एनबीएफसी आज देश के हर कोने तक पहुंच गए हैं, और दूर-दराज के इलाकों में भी आम लोगों को ऋण, बचत, बीमा एवं अन्य फाइनैंशियल सेवाओं के फायदे प्रदान कर रहे हैं। एनबीएफसी का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे ग्रामीण उपभोक्ताओं की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें कस्टमाइज़्ड ऋण सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। वे छोटे किसानों, कारीगरों, उद्यमियों की समस्याओं को समझ कर उनके लिए किफ़ायती, प्रत्यास्थ एवं सुलभ ऋण योजनाएं लेकर आते हैं। उनके सहयोग की वजह से ही आज ग्रामीण लोगों की आय में सुधार हो रहा हे, उनकी खेती की उत्पादकता बढ़ रही है और उनके जीवनस्तर में सुधार आया है।
इस तरह एनबीएफसी ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाकर वित्तीय समावेशन में योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा, एनबीएफसी ने ग्रामीण भारत के छोटे, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनियांं ने आसान दस्तावेज़ों के साथ लोन की प्रोसेसिंग को भी सरल बना दिया है, इस तरह ग्रामीण उपभोक्ताओं को आसानी से बिना कोई कोलेटरल दिए ऋण मिल जाता है। एमएसममई हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ हैं जो बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराकर स्थानीय विकास में योगदान देते हैं। एनबीएफसी से मिलने वाले सहयोग ने इन उद्यमों के विकास को गति प्रदान की है और ग्रामीण समुदायों की आर्थिक प्रगति पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न किया है।
इसके अलावा एनबीएफसी वित्तीय साक्षरता एवं समावेशन में भी योगदान दे रहे हैं। वे ग्रामीण लोगों को बचत, ज़िम्मेदारी से ऋण लेने और स्मार्ट फाइनैंशियल मैनेजमेन्ट के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरुकता प्रोग्रामों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन करते हैं। इन प्रोग्रामों से जागरुक बने लोग सोच-समझ कर अपने आर्थिक फैसले ले सकते हैं और बचत को अपनाकर आर्थिक प्रगति के मार्ग पर बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा एनबीएफसी आधुनिक तकनीक के द्वारा डेटा-उन्मुख ऋण मूल्यांकन एवं जोखिम प्रबन्धन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे डेटा वैकल्पिक स्रोतों जैसे लेनदेन के इतिहास, मोबाइल के उपयोग का प्रतिरूप, सोशल मीडिया का व्यवहार आदि का उपयोग कर उन लोगों के लिए भी ऋण सुविधाओं को सुलभ बनाते हैं, जिन्होंने पहले कभी औपचारिक ऋण नहीं लिया है। इस तरह वे ग्रामीणों के क्रेडिट प्रोफाइल को मजबूत बनाकर उनके लिए वित्तीय संसाधनों को सुलभ बनाने में योगदान देते हैं।
एनबीएफसी ने ग्रामीण भारत के आर्थिक विकास में गेम चेंजर की भूमिका निभाई है। वंचित समुदायों को कस्टमाइज़्ड फाइनैंशियल समाधान उपलब्ध कराकर, उनमें वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देकर और आधुनिक तकनीकों के द्वारा एनबीएफसी ने ग्रामीण भारत के समावेशी आर्थिक विकास को सुनिश्चित किया है और लाखों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न किया है। ये वित्तीय संस्थान अपनी पहुंच को निरंतर बढ़ा रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर देश की प्रगति एवं समावेशन में योगदान दे रहे हैं।
(यह लेख सुमित शर्मा ने लिखा है, जो रेडियन फिनसर्व के संस्थापक हैं)