वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों के प्रस्तावित मर्जर से कर्मचारियों की नौकरी जाने के खतरे की चिंता को खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट कर कहा है कि मर्जर के इन फैसलों से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी।
सीतारमण ने नौकरी जाने के बारे में बैंक यूनियनों की चिंताओं के बारे में संवाददाताओं से कहा, 'यह बिल्कुल तथ्यहीन बात है। मैं इनमें से हर बैंक की सभी यूनियनों एवं लोगों को यह आश्वस्त करना चाहती हूं कि वे मेरी कही गई बात को याद करें। जब हमने बैंकों के विलय की बात की तो मैंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि किसी भी कर्मचारी को नहीं हटाया जाएगा। किसी को भी नहीं।'
बड़े बैंक गठित करने का लक्ष्य
सीतारमण यह तब स्पष्ट किया जब बैंकों के प्रस्तावित मर्जर का बैंक के कर्मचारी यूनियनों द्वारा विरोध किए जाने पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रही थीं। निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को 10 सरकारी बैंकों का मर्जर कर चार बैंक बनाने की घोषणा की थी। यह निर्णय देश में मजबूत और वैश्विक पैमाने के बड़े बैंक गठित करने के लक्ष्य से किया गया है।
10 बैंकों का मर्जर कर चार बैंक बनाने की घोषणा
उम्मीद है कि मर्जर के बाद बनने वाले नए बैंक अर्थव्यवस्था की कर्ज की जरूरतों को पूरा करके मजबूती दूर करने और भारत को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में अधिक मददगार हो सकेंगे। सरकार ने शुक्रवार को 10 सरकारी बैंकों का मर्जर कर चार बैंक बनाने की घोषणा की।
मर्जर के बाद रह जाएंगे कुल 12 सरकारी बैंक
पीएनबी में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का एवं इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का मर्जर किया जाना है। मर्जर के बाद कुल सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह जाएगी।