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ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध नहीं, उसे रेगुलेट करने की जरूरत

ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में करीब 200 अरब डॉलर की इंडस्ट्री हो गई है, लेकिन भारत में यह अब भी शुरुआती चरण में...
ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध नहीं, उसे रेगुलेट करने की जरूरत

ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में करीब 200 अरब डॉलर की इंडस्ट्री हो गई है, लेकिन भारत में यह अब भी शुरुआती चरण में है। यहां इसका आकार 1.8 से दो अरब डॉलर है। हालांकि यह तेजी से बढ़ रहा है और 2025 तक इसके पांच अरब डॉलर का हो जाने का अनुमान है। पिछले साल लॉकडाउन में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी थी। लॉकडाउन के बाद खेलने वालों की संख्या में तो खास गिरावट नहीं आई, लेकिन खेलने का समय घटा है। यहां 40 से 45 करोड़ लोग गेम खेलते हैं। यह चीन के बाद सबसे अधिक है। देश में करीब 400 ऑपरेटर लोगों को ऑनलाइन गेम उपलब्ध कराते हैं।
ई-गेमिंग फेडरेशन के सीईओ समीर बर्डे के अनुसार यह उभरती इंडस्ट्री इन दिनों रेगुलेशन की समस्या से जूझ रही है। गेमिंग और गैंबलिंग को लेकर काफी भ्रम है। लोग पैसे देकर खेले जाने वाले गेम को भी गैंबलिंग समझते हैं। गोवा, सिक्किम जैसे कुछ राज्यों को छोड़ बाकी राज्यों में गैंबलिंग गैरकानूनी है। बीते छह महीने में तमिलनाडु और केरल हाइकोर्ट ने पैसे देकर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध को गलत ठहराया। इसके बावजूद कर्नाटक समेत कई राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है।
सवाल है कि क्या ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध वाकई मुमकिन है। जो प्लेटफॉर्म नियमों का पालन करते हैं, वे तो खिलाड़ी की लोकेशन देखकर उसका खेलना रोक सकते हैं। उसके आइपी एड्रेस या केवाइसी से लोकेशन का पता चल सकता है। लेकिन आज टेक्नोलॉजी इतनी उन्नत है कि कोई वीपीएन का इस्तेमाल करके आसानी से अपनी लोकेशन छिपा सकता है। बर्डे आउटलुक से कहते हैं, “सरकार जिन लोगों को बचाना चाहती है, उन्हें वैध प्लेटफॉर्म नहीं मिलने पर वे वहां चले जाते हैं जहां उनके लिए जोखिम ज्यादा है।”
अगर सरकार किसी वैध प्लेटफॉर्म से कहे कि किसी खास तारीख को किसी खास समय कौन लोग खेल रहे थे, तो वह सारा रिकॉर्ड उपलब्ध करा सकता है। लेकिन जो प्लेटफॉर्म नियमों का पालन नहीं करते, उनसे कोई मदद नहीं मिलेगी। गेम खेलने पर ज्यादा समय बिताना या ज्यादा पैसे लगाना चिंता की बात जरूर है, लेकिन उस पर रेगुलेशन से ही अंकुश लगाया जा सकता है। अन्य देशों में यह रेगुलेटेड इंडस्ट्री है। बर्डे के अनुसार, “सरकार को गेमिंग के लिए रेगुलेशन लाना चाहिए, उस पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। रेगुलेट करके ही खिलाड़ियों की सुरक्षा की जा सकती है। प्रतिबंध लगाकर ऑनलाइन गेमिंग को रोकना नामुमकिन है। प्रतिबंध से इंडस्ट्री को तो नुकसान होता ही है, सरकार को भी टैक्स रेवेन्यू नहीं मिलता।” कंपनी खिलाड़ी से जो कमीशन लेती है (रेक फीस) उस पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है।

अभी गेमिंड इंडस्ट्री में सेल्फ रेगुलेशन

सरकार की तरफ से कोई रेगुलेशन न होने के कारण इंडस्ट्री ने सेल्फ रेगुलेशन अपना रखा है। केवाइसी जरूरी है ताकि 18 साल से कम उम्र के युवा पैसे लगाकर न खेल सकें, बिना पैसे वाला खेल कोई भी खेल सकता है। डाटा सुरक्षित रखने के लिए एनक्रिप्शन अपनाया जाता है। यह भी देखा जाता है कि खिलाड़ी के ई-वॉलेट का पैसा कंपनी अपने खर्चे पूरे करने में न लगाए। कार्ड गेम में खिलाड़ियों को मिलने वाला कार्ड कंपनी में कोई तय न करे, बल्कि वह रैंडम हो। कंपनी के कर्मचारियों को गेम खेलने की अनुमति नहीं है। खिलाड़ी यह भी तय कर सकता है कि उसे महीने में कितना पैसा लगाना है। उस सीमा तक पहुंचने के बाद प्लेटफॉर्म उस खिलाड़ी को ब्लॉक कर देता है। इसी तरह समय सीमा भी निर्धारित की जा सकती है। फेडरेशन गेमिंग कंपनियों की ऑडिटिंग भी कराता है। लेकिन अभी जिन कंपनियों में वेंचर कैपिटल फंडिंग हो रही है, ज्यादातर वही कंपनियां इन नियमों का पालन करती हैं।
अमेरिका में कंसोल पर और चीन में लैपटॉप तथा पीसी पर गेम ज्यादा खेले जाते हैं, लेकिन भारत में मोबाइल फोन पर ही लोग ज्यादा गेम खेलते हैं। मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों तेजी से बढ़ती संख्या को देखते हुए यहां ऑनलाइन गेमिंग के भी उसी रफ्तार से बढ़ने की संभावना है। यहां ज्यादातर लोग मुफ्त वाले गेम ही खेलते हैं, लेकिन पैसे देकर और ई-स्पोर्ट्स खेलने वालों की तादाद भी बड़ी है।
बर्डे कहते हैं, ज्यादातर लोगों के लिए गेमिंग एक तरह का मनोरंजन है। टीवी, प्रिंट और ओटीटी के बाद यह मनोरंजन का चौथा सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। युवा ओटीटी और गेमिंग से ही मनोरंजन करते हैं। ओटोटी बिजनेस अभी सालाना लगभग 55 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, जबकि गेमिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ 35 से 38 फीसदी है। लेकिन ओटीटी के लिए पैसे देने पड़ते हैं, जबकि बहुत सारी गेमिंग मुफ्त है। आगे भी यही ट्रेंड रहने के आसार हैं। इसलिए संभव है कि दस वर्षों बाद गेमिंग सबसे बड़ा माध्यम बन जाए।
अभी गेमिंग इंडस्ट्री में करीब 75 हजार लोग काम कर रहे हैं। देश में तीन गेमिंग यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर या ज्यादा वैलुएशन) हैं। सबसे बड़ा ड्रीम 11 है, जिसकी वैल्यू आठ अरब डॉलर है। दूसरे नंबर पर एमपीएल है, जिसकी वैलुएशन ढाई अरब डॉलर के आसपास है। तीसरी यूनिकॉर्न गेम्स 24-7 है, जिसकी वैल्यू एक अरब डॉलर से कुछ अधिक है। गेमिंग कंपनी नजारा का आइपीओ भी काफी सफल रहा।

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