देश में यात्री वाहनों की बिक्री में लगातार 11 महीने गिरावट दर्ज की गई है। ऑटोमोबाइल कंपनियों की बॉडी सियाम के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में इनकी बिक्री 23.69 फीसदी गिर गई। कारों की बिक्री में 33.4 फीसदी गिरावट आई है। अर्थव्यवस्था की चाल का संकेत समझे जाने वाले कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री में सबसे ज्यादा 39.06 फीसदी गिरावट दर्ज हुई है।
घरेलू कार बिक्री 33 फीसदी से ज्यादा घटी
शुक्रवार को जारी सियाम के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सितंबर में 2,23,317 वाहनों की बिक्री हुई जबकि पिछले साल इसी महीने में 2,92,660 वाहन बिके थे। घरेलू बाजार में कारों की बिक्री इस दौरान 33.4 फीसदी गिर गई। यह 1,97,124 से घटकर 1,31,281 यूनिट रह गई।
दोपहिया वाहन भी कम बिके
बीते महीने में मोटरसाइकिलों की बिक्री 23.29 फीसदी घट गई। इस दौरान 1,31,281 मोटरसाइकिलों की बिक्री हुई। जबकि पिछले साल सितबर में 1,97,124 मोटरसाइकिलें बिकी थीं। सभी दोपहिया वाहनों की बिक्री 22.09 फीसदी गिरकर 16,56,774 रह गई। पिछले साल सितंबर में 21,26,445 दोपहिया वाहन बिके थे।
कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री में सर्वाधिक गिरावट
जहां तक कॉमर्शियल वाहनों की बात है, इनकी बिक्री में 39.06 फीसदी की भारी गिरावट रही। पिछले महीने सिर्फ 58,419 कॉमर्शियल वाहन बिके जबकि सितंबर 2018 में 95,870 वाहन बिके थे। सभी श्रेणियों के वाहनों की कुल घरेलू बिक्री में 22.41 फीसदी की गिरावट रही। इस साल सितंबर में 20,04,932 वाहन बिके जबकि पिछले साल इसी महीने में 25,84,062 वाहनों की बिक्री हुई थी। हालांकि निर्यात में 0.68 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई है। पिछले महीने 4,17,232 वाहनों का निर्यात हुआ, जबकि एक साल पहले 4,14,428 वाहनों का निर्यात हआ था।
पिछले महीने 24.4 फीसदी कम रही थी मारुति की बिक्री
इस माह के शुरू में देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी ने कहा था कि सितंबर में उसकी बिक्री 24.4 फीसदी घट गई। अशोक लेलैंड ने कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री में 27 फीसदी और आयशर मोटर्स ने 43.2 फीसदी गिरावट की जानकारी दी थी। दोपहिया कंपनी बजाज ऑटो की बिक्री पिछले महीने 35 फीसदी कम रही थी।
घटती बिक्री के कारण कंपनियों ने उत्पादन कम किया
बिक्री कम होने के कारण ज्यादातर कंपनियों ने कई रोज उत्पादन बंद रखने का भी ऐलान किया है। कई कंपनियों में अस्थायी कर्मचारियों की नौकरियां भी गई हैं। मैन्युफैक्चरिंग में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की हिस्सेदारी लगभग आधी है। इसमें प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 3.5 करोड़ लोग काम करते हैं।
सरकार के अब तक के उपायों का असर नहीं
कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के अलावा सरकार ने ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कई फैसले किए हैं, लेकिन अभी तक इनका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। गाड़ियां खरीदने के लिए लोग एनबीएफसी से काफी कर्ज लेते हैं। सरकार ने उनकी लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय किए हैं। इसके अलावा यह भी कहा है कि मार्च 2020 तक बिकने वाले सभी बीएस-4 वाहन पूरी रजिस्ट्रेशन अवधि तक चलाए जा सकेंगे। अब वाहन निर्माताओं की मांग जीएसटी घटाने की है। पेट्रोल और डीजल वाहनों पर अभी 28 फीसदी जीएसटी के अलावा सेस लगता है।