Advertisement

बाबा रामदेव की पतंजलि ने जीएसटी कटौती का लाभ नहीं दिया, 75 करोड़ जुर्माना लगा

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पर आरोप है कि उसने अपने उत्पादों की कीमत घटाकर जीएसटी कटौती का फायदा...
बाबा रामदेव की पतंजलि ने जीएसटी कटौती का लाभ नहीं दिया, 75 करोड़ जुर्माना लगा

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पर आरोप है कि उसने अपने उत्पादों की कीमत घटाकर जीएसटी कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दिया और इसका अनुचित फायदा उठाया। नेशनल एंट-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी (एनएए) ने इस मामले की जांच करके कंपनी को दोषी माना है और उस र 75.08 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। उसने यह रकम कंज्यूमर वेलफेयर फंड (सीडब्ल्यूएफ) में जमा करा का आदेश दिया है।

2017 में जीएसटी कटौती पर भी कीमतें नहीं घटाईं

आयुर्वेदिक दवाइयों की बिक्री करके शुरू हुई पतंजलि ने खान-पान की वस्तुओं से लेकर कॉस्मेटिक उत्पाद भी बेचने लगी और इसके साथ ही उसका कारोबार बढ़ता चला गया। इसके साथ ही वह कारोबारी तिकड़में करने लगी। एनएए के अनुसार नवंबर 2017 में सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में कटौती लागू की गई थी। लेकिन पतंजलि ने इसका फायदा उपभोक्ताओं को देने के लिए अपने तमाम उत्पादों की कीमतों में कटौती नहीं की। इसके विपरीत उसने कीमतों में बढ़ोतरी और की।

क्या है एंटी-प्रॉफिटियरिंग नियम

जीएसटी या इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा वस्तु अथवा सेवाओं की कीमतें घटाकर उपभोक्ताओं को नहीं दिया जाता है तो एंटी-प्रॉफिटियरिंग नियम लागू होते हैं। इस नियम के तहत कार्रवाई की मांग कोई पक्ष, आयुक्त अथवा अन्य कोई व्यक्ति कर सकता है।

पतंजलि का तर्क खारिज

पतंजलि ने तर्क दिया कि उसने कैश-बैक स्कीम के तहत उपभोक्ताओं को डिस्काउंट देकर फायदा दिया लेकिन एनएए ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह फायदा कीमत में वाजिब कटौती करके दी जानी चाहिए। कैश-बैक स्कीम कंपनियां अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए चलाती हैं, इसलिए इसके फायदे को कर कटौती से नहीं जोड़ा जा सकता है।

यह भी दावा किया कंपनी ने

पतंजलि ने यह भी दावा किया कि उसने कीमतों में कटौती करक उपभोक्ताओं को फायदा देने के लिए अपने वितरकों को ईमेल संदेश भेजे। लेकिन एनएए ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया। उसका कहना था कि कंपनी ने इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का पुनर्निधारण नहीं किया। लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 के नियम 6 के प्रावधानों के अनुसार एमआरपी तय करने और एमआरपी अंकित करने की पूरी जिम्मेदारी निर्माता होने के कारण कंपनी की है।

खुदरा विक्रेता पुरानी कीमत पर बेचते रहे उत्पाद

एनएए ने कहा कि पतंजलि ने जीएसटी कटौती से प्रभावित उत्पादों का नया एमआरपी तय नहीं किया। उसने यह जिम्मेदारी वितरिकों और खुदरा विक्रेताओं पर छोड़ दी जिन्होंने उत्पाद पुराने दामों पर ही बेचे। इस तरह कंपनी ने सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 171 (1) का उल्लंघन किया है। इस नियम में कंपनी को जीएसटी कटौती का लाभ देने के तरीके बदलने का अधिकार नहीं है। इसलिए किसी उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले जीएसटी कटौती के लाभ किसी अन्य माध्यम या कटौती के साथ समायोजित नहीं किया जा सकता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad