लगातार तेल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी हर रोज परेशान हो रहा है। अब पेट्रोल-डीजल के दाम में केंद्र सरकार द्वारा दी गई छूट भी खत्म हो गई है। मंगलवार को एक बार फिर पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी हुई। जबकि सोमवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बड़ी तेल कंपनियों के सीईओ के साथ तेल कीमतों के मुद्दे पर बैठक की थी।
मंगलवार को राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत में 11 पैसे और डीजल के दाम में 23 पैसे की वृद्धि हुई। इसके साथ ही राजधानी में पेट्रोल-डीजल के दाम क्रमश: 82.83 प्रति लीटर, 75.69 प्रति लीटर हो गए हैं।
दिल्ली
पेट्रोल: 82.83
डीजल: 75.69
कोलकाता
पेट्रोल: 84.65
डीजल: 77.54
मुंबई
पेट्रोल: 88.29
डीजल: 79.35
चेन्नई:
पेट्रोल: 86.10
डीजल: 80.04
गौरतलब है कि बता दें कि तेल के बढ़ते दामों को देखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 4 अक्टूबर को इनकी कीमतों में ढाई रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। इसके बाद कई राज्यों की सरकारों ने भी ढाई रुपये की राहत जनता को दी थी। इस प्रकार जनता को पेट्रोल डीजल की कीमतों में ढाई से पांच रुपये प्रति लीटर की राहत मिली थी। लेकिन ठीक उसके अगले ही दिन से पेट्रोल-डीजल की कीमतें फिर से लगातार बढ़ने लगी।
प्रधानमंत्री और तेल कंपनियों केबीच हुई बैठक में क्या हुआ?
कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों के उछाल के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेल उत्पादकों और उपभोक्ता देशों के बीच भागीदारी के संबंध पर जोर दिया है ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिल सके।
मोदी ने तेल उत्पादक देशों से भी अपील की है कि वे अपने निवेश योग्य अधिशेष को विकासशील देशों के तेल क्षेत्र में वाणिज्यिक लाभ के लिए लगायें। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है। मोदी ने सोमवार को राजधानी में तेल एवं गैस क्षेत्र की देशी-विदेशी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत के दौरान ये सुझाव दिए।
प्रधानमंत्री ने बातचीत तेल एवं गैस बाजार में भारत की उल्लेखनीय स्थिति का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि तेल बाजार फिलहाल उत्पादकों के हिसाब से चल रहा है। कच्चे तेल के उत्पादन की मात्रा और उसका मूल्य उत्पादक देश ही तय करते हैं।
पीएमओ के बायान में कहा गया है, ‘‘हालांकि, बाजार में उत्पादन पर्याप्त मात्रा में हो रहा है, लेकिन तेल क्षेत्र में विपणन के विशेष तौर तरीकों से तेल के दाम चढ़ गए हैं। प्रधानमंत्री ने दूसरे बाजारों की तरह कच्चे तेल के बाजार में उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच मजबूत भागीदारी स्थापित किए जाने पर जोर दिया है। इससे नरमी से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आयेगी।’’
प्रधानमंत्री ने बातचीत में भारत के लिहाज से कुछ खास नीतिगत मुद्दों की का तरफ विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के उपभोक्ता देशों को कच्चे तेल के ऊंचे दाम की वजह से कई तरह की आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके समक्ष संसाधनों की गंभीर तंगी खड़ी हो रही है।
वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘इस फासले को भरने के लिये तेल उत्पादक देशों का सहयोग काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तेल उत्पादक देशों को अपने पास उपलबध निवेश योग्य बचतों को विकासशील देशों में तेल क्षेत्र में वाणिज्यिक लाभ के लिए लगाना चाहिये।’’
उन्होंने देश में तेल, गैस खोज के क्षेत्र में अधिक क्षेत्रों में चल रहे कार्य की तरफ भी ध्यान आकृष्ट किया और इनमें प्रौद्योगिकी और विस्तार के क्षेत्र में विकसित देशों से सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने गैस क्षेत्र में वितरण नेटवर्क में निजी भागीदारी का भी जिक्र किया।
इस बैठक में सउदी अरब और यूएई के मंत्री तथा आरामको, एडीएनओसी, बीपी, रास्नेफ्ट, आईएचएस मार्किट, पायनीयर नेचुरल रिसोर्सिज कंपनी, एतसन इलेक्ट्रिक कंपनी, टेलूरियन मुबाडला इन्वेस्टमेंट कंपनी सहित तेल खेत्र की कई कंपनियों के सीईओ और विशेषज्ञ शामिल हुये।
इनके अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली, पेट्रलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सरकार तथा नीति आयोग के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।