पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक में हुई भारी अनियमितता के मामले में बैंक के पूर्व प्रबंधन और रियल एस्टेट कंपनी हाउसिंग डेवेलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के प्रवर्तकों के खिलाफ मुंबई पुलिस ने सोमवार को प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की। इस मामले की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगा। रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक की शिकायत के आधार पर शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अधिकारियों के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है।
पुलिस के मुताबिक, शुरुआती जांच से पता चलता है कि 2008 से बैंक का घाटा 4,355.46 करोड़ रुपये हो चुका है। बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह, प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और अन्य वरिष्ठ अफसरों के अलावा एचडीआईएल के निदेशक वाधवन का नाम एफआईआर में है। वाधवन के पूरे नाम की तुरंत जानकारी नहीं मिल पाई।
जाली खातों पर लिए गए लोन
इस मामले में काम करने के तरीके को लेकर एफआईआर में कहा गया है कि एचडीआईएल के प्रवर्तकों ने बैंक के प्रबंधन के साथ सांठगांठ कर भांडुप शाखा से ऋण लिया। पुलिस के एक आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक कर्ज का भुगतान नहीं होने के बाद भी बैंक के अफसरों ने एचडीआईएल के ऋण को गैर- निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया और इस सूचना को रिजर्व बैंक अधिकारियों से छिपाया। इन लोगों ने कंपनियों के जाली खाते भी बनाए जिन्होंने थोड़ी-थोड़ी राशि का ऋण लिया।
फर्जी रिपोर्ट का लिया सहारा
इसमें बताया गया कि नियामकीय निगरानी से बचने के लिए बैंक की जाली रिपोर्ट भी बनाई गई। इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (सरकारी कर्मचारी या बैंकर द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन), 420 (धोखाधड़ी, 465, 466 और 471 (जालसाजी से संबंधित) के अलावा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कई राज्यों में है पीएमसी की शाखाएं
बता दें कि पीएमसी बैंक की कई राज्यों में शाखाएं और कारोबार हैं। इसकी शाखाएं महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, गोवा, गुजरात, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में हैं। इसकी स्थापना 1984 में मुंबई के एक छोटे कमरे में की गई थी, जिसका नेटवर्क अब छह राज्यों तक फैल चुका है और इसकी 137 शाखाएं हैं। यह देश की 10 सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव बैंकों में एक माना जाता है।