चीन के शेयर बाजार सोमवार को तीन फीसदी लुढ़क गए। वैसे तो शेयर बाजार में इतनी बढ़त या गिरावट बड़ी चिंता की बात नहीं, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग है। एजुटेक कंपनियों को लेकर चीन की नई नीति के कारण यह गिरावट आई है। दरअसल, चीन स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले कोर विषयों के लिए ट्यूटोरियल पर रोक लगाने का प्रस्ताव लेकर आया है। हालांकि अगर कोई बिना मुनाफे के ट्यूशन पढ़ाना चाहे तो पढ़ा सकता है।
इसके बाद एजुटेक कंपनियों की समझ में नहीं आ रहा कि उनका भविष्य क्या होगा। हांग कांग स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड स्कॉलर एजुकेशन ग्रुप के शेयर सोमवार सुबह 43 फीसदी लुढ़क गए। न्यू ओरिएंटल एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप के शेयरों में भी 30 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई। यह कंपनी अमेरिकी एक्सचेंज में भी लिस्टेड है। शुक्रवार को वहां इसके शेयर 50 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गए थे। यानी एक दिन में कंपनी की वैलुएशन आधी से भी कम रह गई थी।
चीन सरकार ने शुक्रवार को ही नई नीति के ड्राफ्ट की घोषणा की थी। उसका कहना है कि इसका मकसद परिवारों पर आर्थिक दबाव कम करना है। लेकिन इस फैसले से चीन का 120 अरब डॉलर (नौ लाख करोड़ रुपये) का प्राइवेट ट्यूटर सेक्टर बुरी तरह हिल गया है। नई नीति के अनुसार इस सेक्टर की कंपनियों में विलय-अधिग्रहण या फ्रेंचाइजी के लिए विदेशी निवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई है। कंपनियां फंड जुटाने के लिए आइपीओ भी नहीं ला सकेंगी।
हालांकि विशेषज्ञ चीन सरकार के इस कदम को सही ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि बेहद मुनाफे वाले इस सेक्टर में एक तरह से लूट मची हुई थी। सरकार इस इंडस्ट्री को नियंत्रित करना चाहती है ताकि यह लोगों के लिए अधिक स्वीकार्य हो। निवेशकों को नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन वे इस सेक्टर में मुनाफा नहीं कमा सकेंगे।
दरअसल, चीन सिर्फ ऑनलाइन ट्यूटोरियल पर अंकुश नहीं लगा रहा, वह ऑफलाइन इंस्टीट्यूट के साथ भी यही सलूक कर रहा है। कुछ कंपनियों से कामकाज छोटा करने तो कुछ को फीस की सीमा तय करने को कहा गया है। भ्रामक विज्ञापनों के लिए कुछ संस्थानों पर जुर्माना भी लगाया गया है। बीते एक दशक में एजुटेक कंपनियां काफी बढ़ी हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसे सामाजिक समस्या करार दिया है।
कुछ विशेषज्ञ प्राइवेट ट्यूटोरियल को बेकार मानते हैं। चीन में यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए ‘गाओकाओ’ प्रवेश परीक्षा होती है। एजुटेक इंडस्ट्री इसी परीक्षा के आधार पर खड़ी हुई है। बच्चों की ऊंची पढ़ाई के लिए माता-पिता इन्हें कुंजी समझने लगे। इसकी तुलना भारत में आइआइटी-जेईई परीक्षा से की जा सकती है, जिसके लिए ट्यूटोरियल कंपनियां अभिभावकों को बड़े-बड़े सपने दिखाती हैं। चीन में भी छात्र बाकी सबकुछ छोड़ कर इसी तैयारी में लगे रहते हैं।
ट्यूटोरियल सेक्टर पर लगाम लगाने से पहले चीन सरकार ने इंटरनेट कंपनियों पर भी अंकुश लगाने की कोशिश की है। राइड प्लेटफॉर्म दीदी ग्लोबल के अमेरिका में आइपीओ से 4.4 अरब डॉलर जुटाने के दो दिन बाद ही उसने कंपनी के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए।