रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। ये 6.25 फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी हो गई है। इससे पहले आरबीआई ने जून में रेपो रेट बढ़ाया था। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने यह जानकारी दी।
सोमवार से शुरु हुई आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक बुधवार को खत्म हुई। इसके बाद ब्याज दरों का ऐलान किया गया। रेपो रेट बढ़ने से सभी तरह लोन महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। चार से छह जून तक चली पिछली समीक्षा बैठक में भी रेपो रेट 0.25% बढ़ाई गई थी। ॉ
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि साल 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, 2019-20 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.5% रहने का अनुमान है। पटेल ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने बढ़ती महंगाई को देखते हुए रेपो रेट में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है।
चालू वित्त वर्ष के दूसरे द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 2018-19 की पहली छमाही में खुदरा महंगाई दर 4.8-4.9 प्रतिशत जबकि दूसरी छमाही में 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। लेकिन, गर्मियों में सब्जियों के दाम बढ़ने की परिपाटी इस बार नहीं देखी गई और फलों के दाम भी घट गए जिससे पहली छमाही में वास्तविक महंगाई दर अनुमान से कम रहेगी।
रेपो रेट क्या है
जिस दर पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट बढ़ने से लोन महंगा होने की आशंका बढ़ जाती है। इसमें कटौती की जाती है तो लोन सस्ता होने की उम्मीद बढ़ती है।
क्या होगा असर
लोन महंगा होगा तो जमा दरें भी बढ़ेंगी। जमा और लोन पर ब्याज दरों में संतुलन और लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए बैंकों को एफडी और दूसरी जमा योजनाओं पर रेट बढ़ाने होंगे।