नोटबंदी के बाद साल 2017 में गिरे रियल स्टेट की स्थिति इस साल सुधरती हुई दिख रही है। एक रिपोर्ट के मुताबकि साल 2018 के पहले तीन क्वॉर्टर में घरों की बिक्री में 8 फीसदी की वृद्धि हुई है। आने वाले समय में क्या होगा, यह 2019 में होने वाले चुनावों के परिणामों पर निर्भर करेगा। हालांकि नॉन बैंकिंग फाइनेंसिंग कंपनियों (एनबीएफसी) की डावांडोल स्थिति ने रियल स्टेट सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया है।
आरबीआइ ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए जिस तरह इसके अलग-अलग क्षेत्रों को सावधानी बरतने के निर्देश दिए थे, उसके बीच रियल स्टेट की यह कहानी अपने आप में राहत देने वाली है।
रियल स्टेट कंसल्टेंट संस्था एनारॉक के अनुसार, देश के प्रमुख सात शहरों बेंगलूरू, चेन्नई, एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, पुणे और हैदराबाद में साल 2018 में 1,39,700 घर लॉन्च या सप्लाई हुए। साल 2017 के मुकाबले यह स्थिति देखी जाए तो इसमें 18 फीसदी का उल्लेखनीय उछाल आया है।
RERA और GST लाए सकारात्मक प्रभाव
घरों की बिक्री की बात करें तो इसमें भी पिछले साल की तुलना में 8 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार यह माना जा सकता है कि रियल स्टेट को रेगुलेट करने के लिए लाए गए RERA (कानून) और जीएसटी इस सेक्टर में सकारात्मक प्रभाव ला रहे हैं।
एनबीएफसी संकट
एनबीएफसी रियल स्टेट को कैपिटल मुहैया कराने के प्रमुख स्रोत रही हैं, लेकिन इन कंपनियों के सामने मौजूद संकट ने रियल स्टेट को पीछे धकेला है या उसकी आगे बढ़ने की रफ्तार को धीमा किया है। रिपोर्ट के अनुसार यह स्थिति अगर बरकरार रहती है तो होम लोन की ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, जो सीधे कैपिटल की कमी के कारण होगी। यह स्थिति रियल स्टेट के लिए ठीक नहीं होगी।
2019 का चुनाव
एनारॉक की इस रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में देखा जाए तो अभी से स्थिति आशा जगाने वाली लगती है, लेकिन इससे भी ज्यादा यह इस बात पर निर्भर करती है कि 2019 के बाद बनने वाली सरकार द्वारा एनबीएफसी संकट से कैसे निपटा जाता है। ऐसे में बहुत से खरीदार और निवेशक वेट-ऐंड वाच की स्थिति में हैं।