डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार गिरना जारी है। मंगलवार को शुरुआती कारोबार में यह सात पैसे टूटकर67.20 पर खुला। हालांकि जब बाजार बंद हुआ तो यह थोड़ा मजबूत होकर 67.08 पहुंच गया। रुपये के टूटने का सबसे बड़ा कारण कच्चे तेल की कीमतों का बढ़ना है। मुद्रा कारोबारियों के अनुसार गिरावट की अन्य वजह विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती और विदेशी पूंजी का सतत निकास है। इसके अलावा आयातकों की ओर से डॉलर की मांग बढ़ने का असर भी रुपये पर पड़ा है।
सोमवार को जब बाजार बंद हुआ था तब यह 67.13 था। यह पिछले 15 महीने का सबसे न्यूनतम स्तर है। 8 फरवरी, 2017 के बाद रुपये के लिए यह सबसे ज्यादा गिरावट है। उस दिन रुपया डॉलर के मुकाबले 67.19 के स्तर पर बंद हुआ था।
कच्चा तेल हो जाएगा महंगा
कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने का सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा क्योंकि माल ढुलाई से लेकर यात्रा करने तक में पेट्रोल और डीजल का ही इस्तेमाल होता है। भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। अगर कच्चा तेल महंगा होता है तो फिर देश में पेट्रोल-डीजल का दाम भी बढ़ जाएंगे। इसका सीधा असर लोगों के दैनिक जीवन पर पड़ेगा। डीजल की कीमतें बढ़ने से दूध, फल, सब्जियां महंगी हो जाएंगी, वहीं दूसरी जगह आना-जाना भी ज्यादा खर्चीला हो जाएगा।
महंगे हों सकते हैं मोबाइल, कार और टीवी
रुपया कमजोर होने के कारण भारत जहां भी डॉलर के माध्यम से पेमेंट करता है, वह महंगा हो जाएगा। देश में विदेश से आने वाले टीवी, मोबाइल और कारों के कल-पुर्जे महंगे हो जाएंगे। इससे इन्हें खरीदने के लिए ज्यादा पैसा चुकाना पड़ेगा।
विदेश में बच्चों की पढ़ाई पर होगा असर
अगर किसी का बच्चा विदेश में पढ़ रहा है तो उसकी पढ़ाई भी महंगी हो जाएगी। उसके लिए अब ज्यादा पैसा भेजना पड़ेगा। विदेश यात्रा के लिए डॉलर से खरीदी गई टिकट के लिए ज्यादा भारतीय रुपये चुकाने होंगे यानी यहां भी खर्च बढ़ जाएगा।