भारतीय अर्थव्यवस्था इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है। गुरुवार को भारतीय करंसी अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। डॉलर के मुकाबले रुपया 69 के नीचे फिसल गया है।
गुरुवार को रुपया 28 पैसे कमजोर होकर 68.89 पर खुला और 69.10 तक भी चला गया। इससे पहले बुधवार को ये 37 पैसे टूटकर 68.61 पर बंद हुआ, जो 19 महीने का सबसे निचला स्तर था। 24 नवंबर 2016 को ये 68.86 तक गिर गया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कच्चे तेल के महंगे होने से चालू खाता घाटा और महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। इसके कारण रुपए पर दबाव है। बैंक और आयातकों की ओर से डॉलर की मांग बढ़ने से भी रुपए में कमजोरी आई।
इस दौरान अमेरिका में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं क्योंकि अमेरिका ने सहयोगियों को लीबिया और कनाडा में आपूर्ति में बाधाओं और चिंताओं के बीच ईरानी क्रूड खरीदने से रोकने के लिए दबाव डाला था। ब्रेंट क्रूड वायदा 67.50 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जो 2014 के बाद से सबसे ज्यादा था।
ये हो सकता है असर
डॉलर के मुकाबले रुपया के कमजोर होने से करेंसी एक्सचेंज के लिए डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपए चुकाने होंगे जिससे भारतीयों के लिए विदेश यात्रा महंगी हो जाएगी। विदेश में पढ़ाई का खर्च भी बढ़ जाएगा। इसके अलावा डॉलर संबंधी दूसरे लेन-देन भी भारतीयों के लिए महंगे हो जाएंगे।