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वीडियोकॉन लोन मामले में चंदा कोचर पर लग सकता है एक करोड़ का जुर्माना

आईसीआईसीआई बैंक और इसकी एमडी-सीईओ चंदा कोचर के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पूंजी बाजार रेगुलेटर सेबी...
वीडियोकॉन लोन मामले में चंदा कोचर पर लग सकता है एक करोड़ का जुर्माना

आईसीआईसीआई बैंक और इसकी एमडी-सीईओ चंदा कोचर के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पूंजी बाजार रेगुलेटर सेबी ने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन मामले की शुरूआती जांच पूरी कर ली है। पीटीआई के मुताबिक, सेबी ने पाया है कि वीडियोकॉन को दिए कर्ज में 'हितों के टकराव' का मामला बनता है। वीडियोकॉन और अपने पति दीपक कोचर के बीच आर्थिक लेन-देन की जानकारी सार्वजनिक ना करके चंदा कोचर ने लिस्टिंग नियमों का उल्लंघन किया है। बैंक भी यह तय करने में नाकाम रहा कि इसके डायरेक्टर लिस्टिंग नियमों का पालन करें। इसलिए आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर, दोनों के खिलाफ एडजुडिकेशन प्रोसिडिंग की सिफारिश की गई है।

लग सकता है एक करोड़ का जुर्माना

आईसीआईसीआई बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग करवाने में भी कोचर परिवार शामिल था। सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नियमों के उल्लंघन के कारण आईसीआईसीआई बैंक पर 25 करोड़ और चंदा कोचर पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा इनके खिलाफ और कार्रवाई भी की जा सकती हैं।

अधिकारी के अनुसार, रेगुलेटर ने आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर को कारण बताओ नोटिस भेज रखा है। इसका जवाब मिलते ही एडजुडिकेशन प्रॉसेस शुरू कर दी जाएगी। यह अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया होती है। पिछले हफ्ते सेबी की बोर्ड मीटिंग के बाद इसके चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा था कि आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर ने अभी तक कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया है। आरबीआई, सीबीआई और एसएफआईओ भी मामले की जांच कर रहे हैं।

दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत न्यूपावर रिन्युएबल्स के संस्थापक थे

सेबी की जांच में चंदा कोचर ने माना है कि उनके पति दीपक की कंपनी न्यूपावर रिन्युएबल्स और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच पिछले वर्षों में कई लेनदेन हुए। दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत न्यूपावर रिन्यूएबल्स के संस्थापक थे। जून 2009 में धूत और पैसिफिक कैपिटल के शेयर सुप्रीम एनर्जी को बेच दिए गए। पैसिफिक कैपिटल कंपनी दीपक कोचर के पिता के नाम है। वेणुगोपाल धूत ने फिर न्यूपावर में डिबेंचर के जरिए 64 करोड़ रुपए का निवेश किया। यह डिबेंचर उन्होंने सुप्रीम एनर्जी से खरीदा।

आरोप है कि दीपक कोचर की कंपनी में कुछ निवेश मॉरीशस के रास्ते भी आया था। इसलिए भारतीय जांच एजेंसियां वहां से जानकारी जुटा रही हैं। आरोपों के मुताबिक मॉरीशस की कंपनी फर्स्टलैंड होल्डिंग्स ने न्यूपावर में 325 करोड़ रुपए का निवेश किया। फर्स्टलैंड एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक रवि रुइया के दामाद निशांत कनोडिया की कंपनी है। व्हिसलब्लोअर अरविंद गुप्ता का आरोप है कि बदले में बैंक ने एस्सार को कर्ज दिए हैं। एस्सार ग्रुप ने आरोपों से इनकार किया है। इसका कहना है कि फर्स्टलैंड होल्डिंग्स से इसका कोई लेनादेना नहीं है।

जुर्माना देकर लंबी कार्रवाई से बचना चाहता था बैंक

पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि एडजुडिकेशन प्रोसीडिंग्स की लंबी कार्रवाई से बचने के लिए आईसीआईसीआई बैंक सेबी के पास ‘कंसेंट एप्लिकेशन’ दायर कर सकता है। इसमें कुछ जुर्माना देकर केस बंद हो जाएगा और बैंक को यह भी नहीं मानना पड़ेगा कि उसने कोई गलती की है। एडजुडिकेशन प्रॉसेस की सिफारिश से बैंक के लिए यह रास्ता बंद होता लग रहा है। इस प्रोसेस में अब अर्ध-न्यायिक जांच की जाएगी और जुर्माना लगाया जाएगा।

बैंक जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण से करवा रहा है मामले की जांच

सेबी की जांच शुरू होने के बाद बैंक के बोर्ड ने भी स्वतंत्र जांच कराने की घोषणा की थी। बैंक ने इसका जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण को सौंपा है। पिछले हफ्ते बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज को दी फाइलिंग में बताया था कि चंदा कोचर एमडी और सीईओ पद पर बनी रहेंगी, लेकिन जांच पूरी होने तक वह छुट्टी पर रहेंगी। बैंक का कामकाज देखने के लिए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंश्योरेंस के सीईओ संदीप बख्शी को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) बनाया गया है।

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