थोक महंगाई दर में दिसंबर महीने के लिए मामूली गिरावट आई है। दिसंबर महीने के लिए यह 13.56 फीसदी रही है। नवंबर में थोक महंगाई दर 14.23 फीसदी थी जबकि पिछले साल दिसंबर में थोक महंगाई दर केवल 1.95 फीसदी रही थी। तेल, बिजली व मैन्युफैक्चरिंग आइटम्स के भाव में नरमी के चलते थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई में यह गिरावट हुई।
डब्ल्यूपीआई इंफ्लेशन अप्रैल से शुरू हो रहे लगातार नवें महीने दोहरे अंकों में बनी रही और सालाना आधार पर बहुत अधिक रही। इस पर कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा कि खनिज तेल, बेसिक मेटल्स, क्रूड पेट्रोलियम व नेचुरल गैस, केमिकल्स व केमिकल प्रोडक्ट्स, फूड प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल व पेपर प्रोडक्ट्स इत्यादि की कीमतों में दिसंबर 2020 के मुकाबले तेजी के चलते पिछले महीने इंफ्लेशन की दर ऊंची रही।
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स सेगमेंट में दिसंबर में महंगाई दर 10.62 फीसदी रही, जबकि नवंबर में यह 11.92 फीसदी रही थी। वेजिटेबल्स सेगमेटं में महंगाई दर 31.56 फीसदी रही, जबकि नवंबर में यह महंगाई 3.91 फीसदी रही थी। अंडा, मीट, फिश सेगमेंट में महंगाई दर 6.68 फीसदी रही, जबकि नवंबर में यह महंगाई 9.66 फीसदी रही थी।
नवंबर 2021 से तुलना करें तो पिछले महीने मैन्यूफैक्चर्ड आइटम्स की इंफ्लेशन 11.92 फीसदी से गिरकर 10.62 फीसदी, फ्यूल व पॉवर बॉस्केट की 39.81 से फिसलकर 32.30 फीसदी रही जबिक फूड आर्टिकल्स के इंफ्लेशन में तेजी रही। फूड आर्टिकल्स का इंफ्लेशन नवंबर 2021 में 4.88 फीसदी से बढ़कर दिसंबर में 9.56 फीसदी हो गई।
सरकार की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर महीने में खुदरा दर बढ़कर 5.59 फीसदी पर पहुंच गई। खुदरा महंगाई से आम लोगों पर सबसे अधिक असर पड़ता है। खाद्य उत्पादों की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा महंगाई दर नवंबर के 4.91 फीसदी से दिसंबर में 5.59 फीसदी पर पहुंच गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2021 में 4.91 फीसदी और दिसंबर, 2020 में 4.59 फीसदी थी।