चौबीस जुलाई को देर रात फाइनेंस सेक्रेटरी (वित्त सचिव) पद से हटाए गए सुभाष गर्ग अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने जा रहे हैं। सरकार के रवैये से नाराज सुभाष गर्ग ने यह कदम उठाया है। गर्ग को वित्त सचिव जैसे अहम पद से हटाकर पावर सेक्रेटरी के पद पर ट्रांसफर कर दिया गया है। इस ट्रांसफर का सीधा सा मतलब है कि गर्ग को एक बड़े अहम पद से हटाकर उनका कद छोटा कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, इसीलिए उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है। गर्ग की जगह सरकार ने गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी अतानु चक्रवर्ती को फाइनेंस सेक्रेटरी बनाया है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, जिस तरह से गर्ग को हटाया गया है, वह उन्हें काफी नागवार गुजरा है। हटाने के पीछे एक बड़ी वजह बजट को बताया जा रहा है। बजट के कई अहम प्रावधानों को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गर्ग के बीच एक राय नहीं बन पाई थी। इसके साथ ही एक वित्त मंत्री की उसके फाइनेंस सेक्रेटरी से जैसी केमिस्ट्री होनी चाहिए थी, वह भी शायद नहीं बन पाई। इसकी वजह से गर्ग को फाइनेंस सेक्रेटरी का पद गंवाना पड़ा है।
सूत्रों के अनुसार, इसके अलावा अभी तक किसी सेक्रेटरी जैसे व्यक्ति का ट्रांसफर किए जाने पर जो औपचारिकता निभाई जाती है। वह भी गर्ग के साथ नहीं की गई है। उन्हें अपने ट्रांसफर की जानकारी के जूनियर अधिकारी से मिली। इन वजहों से भी साफ है कि वित्त मंत्री के साथ उनकी केमिस्ट्री जम नहीं पाई।
बजट के बाद बिगड़ा मामला
जब से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परंपरा से हटकर बजट पेश किया है। उसके बाद से ही वित्त मंत्रालय में कई अहम बदलाव हो रहे हैं। मसलन उन्होंने मान्यता प्राप्त पत्रकारों की मंत्रालय में एंट्री पर भी कई सारी शर्ते लगा दी हैं। इसके अलावा मंत्रालय के अधिकारियों के बीच में भी कई तरह की बातें उठ रही हैं। मसलन बजट में जो राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखा गया है, उसको लेकर भी कई सारे विरोध अधिकारियों में हैं। साथ ही इस बात की आशंका है कि सरकार ने राजकोषीय घाटे का जो लक्ष्य रखा है, वह भी तर्क संगत नहीं लगता है। सरकार ने 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.3 फीसदी रखा है। यही नहीं बजट के बाद पत्रकारों के साथ हुई डिनर पार्टी में भी वित्त मंत्रालय के कई अधिकारियों ने अर्थव्यवस्था में मंदी की बात स्वीकार की थी, लेकिन उनका कहना था कि राजनीतिक नेतृत्व इसे मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में कोई कैसे समझा सकता है।
चिदंबरम भी उठा चुके हैं सवाल
पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने भी बजट 2019 पेश होने के बाद आउटलुक को दिए इंटरव्यू में कहा था “सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य भरोसे के लायक नहीं है। उदाहरण के तौर पर पिछले साल कर राजस्व में 1.6 लाख करोड़ की कमी आई लेकिन मार्च में सरकार बड़े स्तर पर खर्च में कटौती कर राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने का दावा कर रही है। लेकिन हकीकत में वह लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए।” इसी तरह उन्होंने कहा था कि बजट और आर्थिक सर्वेक्षण को देखकर लगता है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों में सामंजस्य नही है।