कंपनी मामलों के मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) मुंबई ने सोमवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के समक्ष याचिका दाखिल की है जिसमें उसने टाटा संस के मामले में उससे फैसले में कुछ बदलाव करने का अनुरोध किया है। उसने टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी में तब्दील करने के लिए अवैध शब्द हटाने की मांग की है।
आरओसी की फैसले में बदलाव की मांग
सोमवार को दाखिल की गई आरओसी की याचिका पर एनसीएलएटी दो जनवरी 2020 को सुनवाई करगा। आरओसी ने अपनी याचिका में कहा है कि 18 दिसंबर के फैसले में आवश्यक संशोधन करने की मांग की है ताकि आरओसी मुंबई का कामकाज अवैध प्रतीत न हो। आरओसी कंपनीज एक्ट के प्रावधानों के तहत तय नियमों के साथ काम करता है। उसने वह आरोप हटाने का भी अनुरोध किया है जिसमें कहा गया है कि आरओसी मुंबई ने जल्दबाजी टाटा संस की मदद की। आरओसी मुंबई ने वैधानिक तरीके से टाटा संस के मामले में नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की।
स्टेटस बदलने पर कोई स्टे नहीं था
आरओसी ने कहा है कि टाटा संस का स्टेटस बदलने के मामले में उचित तरीके से काम किया है। जिस समय टाटा संस ने अपना स्टेटस बदलने की सूचना दी थी, उस समय एनसीएलटी मुंबई के 9 जुलाई 2018 के फैसले पर अपीलेट ट्रिब्यूनल ने कोई स्टे नहीं लगाया था।
एनसीएलएटी ने स्टेटस बदलने को अवैध बताया
आरओसी ने मामले में खुद को भी पक्ष बनाने की मांग की है। एनसीएलएटी ने 18 दिसंबर को अपने आदेश में सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था। उसने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी के तौर पर बदलने को भी अवैध करार दिया था। एनसीएलएटी ने कहा था कि प्राइवेट कंपनी में बदलने की आरओसी द्वारा अनुमति देने का कदम कंपनीज एक्ट 2013 के प्रावधान के खिलाफ और माइनरिटी शेयरधारक (मिस्त्री कैंप) के साथ अन्यायपूर्ण है।