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सोशल मीडिया पर महंगी गाड़ी-बाइक के साथ फोटो डालना पड़ सकता है भारी, टैक्स विभाग रखेगा नजर

आयकर विभाग अगले महीने से ‘प्रोजेक्ट इनसाइट’ के तहत बड़े पैमाने पर डेटा विश्लेषण और सोशल साइटों पर मौजूद सूचनाओं को मिलाएगा जिससे किसी व्यक्ति के खर्च और घोषित आमदनी के बीच अंतर का पता लगाया जा सके।
सोशल मीडिया पर महंगी गाड़ी-बाइक के साथ फोटो डालना पड़ सकता है भारी, टैक्स विभाग रखेगा नजर

सोशल मीडिया इंस्टाग्राम, फेसबुक पर यदि अपनी लग्जरी गाड़ी का फोटो डाला है या महंगी घड़ी की फोटो अपलोड की है तो आयकर अधिकारी आपके घर का दरवाजा खटखटा सकते हैं। आयकर विभाग ने अगले महीने से कालेधन का पता लगाने को सोशल नेटर्विकंग साइटों को खंगालने का फैसला किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने ये जानकारी दी है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आयकर विभाग अगले महीने ‘प्रोजेक्ट इनसाइट’ शुरू करने जा रहा है। इसके तहत विभाग बड़े पैमाने पर डेटा विश्लेषण और सोशल साइटों पर मौजूद सूचनाओं को मिलाएगा जिससे किसी व्यक्ति के खर्च के तरीके और घोषित आमदनी के बीच अंतर का पता लगाया जा सके।

एक अधिकारी ने कहा कि कर विभाग कर चोरी तथा काले धन को पकड़ने के लिए आय घोषणा तथा खर्च के तरीके में अंतर का विश्लेषण करेगा। किसी व्यक्ति की आय और संपत्ति का पता लगाने के लिए आयकर विभाग ने पैन को आधार से जोड़ना भी अनिवार्य कर दिया है। कर विभाग ने पिछले साल प्रोजेक्ट इनसाइट के क्रियान्वयन के लिए एलएंडटी इन्फोटेक के साथ करार किया था। इसका मकसद कर अनुपालन में सुधार के लिए सूचनाओं को जुटाना है।

सबसे बड़ा बॉयोमेट्रिक डाटाबेस होगा तैयार

ये प्रोजेक्ट पिछले सात सालों से तैयार हो रहा था। केंद्र सरकार ने इस पर 10 बिलियन (1000 करोड़) रुपये खर्च किए हैं। सरकार का मकसद इस प्रोजेक्ट के जरिए विश्व का सबसे बड़ा बॉयोमेट्रिक डाटाबेस तैयार कर रही है।

इस डाटाबेस से इनकम टैक्स, ईडी, बैंक, एनआईए को भी टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि काफी लोग अभी भी अपनी कमाई की सही तरह से जानकारी नहीं दे रहे हैं। वहीं लोग अपने घूमने-फिरने, घर-बाइक, कार खरीदने पर सबसे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, जिससे अन्य लोगों को पता चल सके। अब सरकार के इस कदम से लोगों को काफी सावधानी बरतनी पड़ेगी।

कालेधन पर अंकुश लगाने में मिलेगी मदद

इनकम टैक्‍स विभाग ने प्रोजेक्‍ट इनसाइट की शुरुआत बड़े पैमाने पर डाटा जुटाने और ऐसी सूचनाओं की प्रोसेसिंग के जरिए टैक्‍स बेस बढ़ाने के लिए की है। इससे इनकम टैक्‍स अधिकारियों को उच्‍च मूल्‍य के लेनदेन की निगरानी करने और कालेधन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

अधिकारी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रोजेक्ट इनसाइट से सूचना आधारित रुख को मजबूत करने में मदद करेगी और कर अनुपालन में सुधार होगा। इस नए तकनीकी ढांचे का इस्तेमाल विदेशी खाता कर अनुपालन कानून (फाटका) तथा सामान्य रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के लिए भी किया जाएगा। प्रोजेक्ट इनसाइट के तहत एक नया अनुपालन प्रबंधन केंद्रीयकृत प्रसंस्करण केंद्र (सीएमसीपीसी) स्थापित किया जाएगा।

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