भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि केंद्र सरकार को अधिशेष कोष (सरप्लस रिजर्व) से 52,637 करोड़ रुपये देने के बाद रिजर्व बैंक के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये (1.96 लाख करोड़) की राशि बची है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं की वजह से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है।
1.76 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर करने का फैसला
आरबीआई ने बीते दिनों अपने डिविडेंड और सरप्लस फंड से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की घोषणा की है। इस फंड का इस्तेमाल सरकार इकॉनमी में जान फूंकने में कर सकती है। आरबीआई इस रकम का बड़ा हिस्सा यानी 1.23 लाख करोड़ रुपये सरप्लस फंड से और बाकी 52,637 करोड़ रुपये सरप्लस रिजर्व से ट्रांसफर करेगा।
धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए हैं।
आर्थिक गतिविधयों में सुस्ती
घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है। आरबीआई ने कहा है कि आईएलऐंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह में 20 फीसदी की गिरावट आई है।
यह रिपोर्ट हर साल जारी की जाती है, जिसमें केंद्रीय बैंक के कामकाज तथा संचालन के विश्लेषण के साथ ही अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार के लिए सुझाव दिए जाते हैं।