ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी या AIMTC) की अगुवाई में आज से देशभर में 93 लाख ट्रक जीएसटी प्रावधानों और डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। ट्रक ऑपरेटरों का कहना है कि दो दिन में उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं।
ट्रक मालिक और ऑपरेटर जीएसटी के तहत 'नुकसान पहुंचने वाली नीतियों' के खिलाफ हैं तथा उनकी मांग है कि डीज़ल को भी जीएसटी के दायरे में ले आया जाए, इसलिए सोमवार सुबह 8 बजे से 36 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। साथ ही उनकी मांग यह भ्ाी है कि पुराने ट्रक बेचने पर लगने वाले 28 फीसदी टैक्स के प्रावधान को खत्म किया जाए।
ट्रक ऑपरेटरों की इस हड़ताल का बड़ा असर पड़ सकता है क्योंकि दिल्ली की सबसे बड़ी आजादपुर मंडी में रोजाना 6 हजार वाहनों से सब्जियों और फलों की आपूर्ति होती है।
ट्रांसपोर्टरों की एक अन्य संस्था ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए या AITWA) के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने कहा है, "हड़ताल का आह्वान एआईएमटीसी ने किया है, और हम उसका समर्थन कर रहे हैं... सरकारी अधिकारी हमें जीएसटी के बारे में कुछ समझाते भी नहीं और कोई सफाई भी नहीं देते... वे इसे बेहद जटिल बना रहे हैं।
इस हड़ताल की अगुवाई ट्रांसपोर्टरों की शीर्ष संस्था AIMTC देशभर में 93 लाख ट्रक वालों तथा लगभग 50 लाख बस व टूरिस्ट ऑपरेटरों का प्रतिनिधित्व करती है। ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक त्योहारों के बीच शुरू ट्रांसपोर्टर की दो दिन 9 से 10 अक्टूबर तक की हड़ताल से कारोबार को करीब 5 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
ट्रक औपरेटरों का आरोप है कि टोल नाका (प्लाजा) पर देरी से सालाना करीब 1.48 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है जबकि सरकार को सालाना टोल से 19 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। ट्रांसपोर्टरों का दावा है कि टोल नाकों पर 40-50 फीसदी का घोटाला होता है।