तिमाही रोजगार सर्वेक्षण के मुताबिक, अक्टूबर, 2016 से जनवरी, 2017 के बीच 1.52 लाख अस्थायी और 46 हजार अल्पकालिक नौकरियां खत्म हुईं। जबकि इस दौरान अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख क्षेत्रों में 1.22 लाख कामगार शामिल हुए।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण अवधि (इनमें नोटंबदी का समय भी शामिल था ) ज्यादा 1.13 लाख नौकरियां मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में खत्म हुई हैं। आईटी और बीपीओ क्षेत्र में भी नोटबंदी के दौरान 20 हजार नौकरियाेेंं की कमी आई है। सबसे ज्यादा अंशकालिक नाैकरियां भी मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में ही घटी हैं।
हालांकि, जनवरी से मार्च 2017 के बीच मैनुफैक्चरिंग में 83,000, ट्रेड में 7,000, ट्रांसपोर्ट में 1,000, आईटी/बीपीओ में 12,000, शिक्षा में 18,000 और हेल्थ सेक्टर में 2,000 नौकरियों की बढ़ोतरी हुई। लेकिन कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की नौकरियों में भी कमी आई है। कुल मिलाकर इस तिमाही में नियमित 1.39 नियमित और 1.24 ठेकाकर्मी बढ़े हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में हर साल दो करोड़ रोजगार पैदा करने का वादा किया था। देश में हर साल करीब सवा करोड़ श्रम शक्ति में जुड़ जाते हैं, जिन्हें रोजगार मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती है। नोटबंदी से उद्याेग-धंधों और रोजगार पर पड़ी मार को लेकर देश में बड़ी बहस छिड़ी थी। लेबर ब्यूरो के आंकड़ों से उन दावों को बल मिला है।