विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। पीटीआई के मुताबिक, उसने यह भी कहा है कि भारत को अपनी रोजगार दर बरकरार रखने के लिए हर साल 81 लाख नौकरियां सृजित करनी होंगी।
इसके अलावा वर्ल्ड बैंक का मानना है कि आने वाले दो वर्षों में भारत की ग्रोथ रेट बढ़कर 7.5 फीसद के स्तर पर आ जाएगी। रिपोर्ट का मानना है कि देश वर्ष 2016 में लागू हुई नोटबंदी और एक जुलाई, 2017 को लागू वस्तु एवं सेवाकर के क्रियान्वयन के नकारात्मक असर से बाहर आ चुका है।
साल में दो बार जारी होने वाली साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस (एसएईएफ) रिपोर्ट जिसका नाम जॉबलैस ग्रोथ है, में कहा गया है कि भारत कि वर्ष 2017 की 6.7 फीसदी की ग्रोथ वर्ष 2018 में बढ़कर 7.3 फीसदी हो जाएगी। साथ ही यह इससे निजी निवेश और निजी उपभोग में भी सुधार देखने को मिलेगा।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश की विकास दर 2019-20 और 2020-21 में बढ़कर 7.5 फीसद हो जाएगी। साथ ही सुझाव दिया है कि नई दिल्ली को निवेश और निर्यात बढ़ाना चाहिए ताकि ग्लोबाल ग्रोथ का फायदा उठाया जा सके।
रिपोर्ट में कहा है, “हर महीने वर्किंग एज 1.3 मिलियन लोगों की दर से बढ़ जाती है और भारत को अपनी रोजगार दर बरकरार रखने के लिए 8.1 मिलियन नौकरियां प्रति साल सृजित करनी होगी। जो कि वर्ष 2005 से 2015 तक लगातार गिर रही है। इसका मुख्य कारण महिलाओं की ओर से जॉब मार्केट छोड़ना है।”