थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 1.62 प्रतिशत थी जबकि एक साल पहले जुलाई में यह शून्य से चार प्रतिशत नीचे थी। पिछले सप्ताह जारी खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों में भी जुलाई के दौरान अच्छी वृद्धि दर्ज की गई। खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 6.07 प्रतिशत हो गई। थोक मुद्रास्फीति जुलाई के स्तर से पहले अगस्त 2014 में इससे ऊपर 3.74 प्रतिशत पर थी।
जुलाई माह की मुद्रास्फीति में सब्जियों की महंगाई का बड़ा योगदान रहा। जुलाई में सब्जियों के दाम एक साल पहले के मुकाबले 28.05 प्रतिशत बढ़ गये जबकि दालें 35.76 प्रतिशत महंगी हो गई। रोजमर्रा के इस्तेमाल की सब्जी आलू का दाम 58.78 प्रतिशत चढ़ गया। इस दौरान एक साल पहले जुलाई के मुकाबले चीनी 32.33 प्रतिशत महंगी हो गई। फलों के दाम 17.30 प्रतिशत मंहगे हो गये। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक जुलाई माह में खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंक में पहुंचकर 11.82 प्रतिशत रही। इस खंड में प्याज को छोड़कर सभी उत्पादों में मुद्रास्फीति बढ़ी है। थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर 2014 से मार्च 2016 तक शून्य अथवा शून्य से नीचे रही। अप्रैल 2016 से यह शून्य से ऊपर आई है और पिछले चार महीनों से लगातार बढ़ रही है। जून 2016 में यह 1.62 प्रतिशत पर पहुंची वहीं जुलाई में तेजी से बढ़कर 3.55 प्रतिशत हो गई। हालांकि, प्याज समेत कुछ उत्पादों में मुद्रास्फीति शून्य से नीचे बनी रही। प्याज के दाम इस दौरान 36.29 प्रतिशत तक घट गये और पेट्रोल के दाम भी 10.30 प्रतिशत तक घट गये। विनिर्मित उत्पादों के मामले में जुलाई में मुद्रास्फीति 1.83 प्रतिशत और चीनी के दाम की मंहगाई 32.33 प्रतिशत बढ़ गई। मई की थोक मुद्रास्फीति का आंकड़ा संशोधित कर 1.24 प्रतिशत कर दिया गया जबकि अस्थाई आकलन 0.79 प्रतिशत था। जुलाई की थोकमूल्य मुद्रास्फीति में बढ़त के आंकड़े खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि के बाद सामने आये हैं जो कि 23 महीने के उच्चतम स्तर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई और यह आरबीआई के संतोषजनक स्तर से काफी ऊपर है। आरबीआई ने पिछले सप्ताह जारी मौद्रिक नीति में मार्च 2017 के लिए पांच प्रतिशत मुद्रास्फीति के लक्ष्य का जिक्र किया है।
एजेंसी