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भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथी तिमाही में तेज़ रफ्तार, लेकिन सालाना वृद्धि में सुस्ती

वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था ने 6.5% की वृद्धि दर दर्ज की है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम...
भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथी तिमाही में तेज़ रफ्तार, लेकिन सालाना वृद्धि में सुस्ती

वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था ने 6.5% की वृद्धि दर दर्ज की है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है, लेकिन जनवरी से मार्च 2025 की चौथी तिमाही में GDP ने 7.4% की तेज़ वृद्धि दर्ज की, जो एक सकारात्मक संकेत है। यह तिमाही प्रदर्शन विश्लेषकों की अपेक्षाओं से बेहतर रहा और इसने साल के समग्र औसत को भी संतुलित किया। इससे पहले अक्टूबर-दिसंबर 2024 की तीसरी तिमाही में GDP 6.2% की दर से बढ़ा था, जबकि जुलाई-सितंबर की वृद्धि दर 5.6% थी।

इस प्रकार, आर्थिक वृद्धि में तिमाही दर तिमाही सुधार देखा गया है। चौथी तिमाही की इस तेज़ वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारक रहे। निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र में मजबूती ने बड़ी भूमिका निभाई। इन क्षेत्रों में उत्पादन में तेजी, परियोजनाओं में निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास ने GDP को गति दी। इसके अलावा, सरकारी खर्च में वृद्धि और कर संग्रह में सुधार ने भी आर्थिक गतिविधियों को समर्थन दिया। ग्रामीण मांग में आई तेजी और त्योहारों के दौरान उपभोक्ता खर्च में इजाफा भी तिमाही वृद्धि में सहायक रहा।

हालांकि सालाना वृद्धि दर 6.5% अपेक्षाकृत धीमी है, लेकिन सरकार का मानना है कि यह सतत विकास की दिशा में एक स्थिर कदम है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि कॉर्पोरेट मुनाफे, पूंजी निर्माण और रोजगार के बीच के अंतर को कम करने की आवश्यकता है, ताकि भारत 6.5% से ऊपर की सतत वृद्धि दर बनाए रख सके। उन्होंने यह भी कहा कि निजी निवेश को प्रोत्साहित करना, घरेलू मांग को बढ़ाना और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का प्रबंधन करना भारत की आगे की आर्थिक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक मंदी और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद मजबूत बनी रह सकती है, बशर्ते नीति-निर्माता घरेलू सुधारों और निवेश को प्राथमिकता दें। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की GDP वृद्धि मिश्रित संकेत देती है—जहां वार्षिक स्तर पर थोड़ी मंदी है, वहीं चौथी तिमाही में विकास की रफ्तार ने उम्मीदें जगाई हैं। अब निगाहें आगामी बजट और मौद्रिक नीति पर होंगी, जो अगले वित्तीय वर्ष की दिशा तय करेंगे।

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