अमेजन और फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। अमेजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फ्यूचर रिटेल को नोटिस भेजा है। अमेजन की यह याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ है जिसमें फ्यूचर रिटेल को मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल को बेचे जाने की प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी गई है। हाई कोर्ट की एकल बेंच ने इस सौदे पर स्टे आर्डर जारी किया था, लेकिन बाद में बड़ी बेंच ने उस आदेश को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के सामने इस डील की सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन ट्रिब्यूनल कोई फैसला नहीं सुनाएगा।
पांच हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई
जस्टिस आर.एस. नरीमन और जस्टिस बी.आर. गवई की बेंच ने फ्यूचर रिटेल के अलावा फ्यूचर ग्रुप के चेयरमैन किशोर बियानी और अन्य को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इन सब को 3 हफ्ते के भीतर जवाब देना पड़ेगा। अगर वे कोई रिमाइंडर देना चाहते हैं तो उसके बाद 2 हफ्ते में दे सकते हैं। 5 हफ्ते के बाद मामले पर फिर से सुनवाई होगी।
हाई कोर्ट ने एकल बेंच का आदेश खारिज किया था
दिल्ली हाई कोर्ट की एक जज की बेंच ने 2 फरवरी को फ्यूचर और रिलायंस की 24,713 करोड़ रुपए की डील पर स्टे लगाया था। फ्यूचर यह मामला बड़ी बेंच में लेकर गई जिसने 8 फरवरी को एकल बेंच के आदेश को खारिज कर दिया था। बड़ी बेंच ने अमेज़न का यह आग्रह भी नहीं माना था कि आदेश पर अमल एक हफ्ते के लिए रोक दिया जाए ताकि उसे कानूनी कार्रवाई के लिए समय मिल सके।
आर्बिट्रेशन कोर्ट ने अमेजन के पक्ष में दिया है फैसला
सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर ने पिछले साल 25 अक्टूबर को अमेजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसके पक्ष में फैसला दिया था। इस पर अमल करवाने के लिए अमेजन ने दिल्ली हाई कोर्ट की एकल बेंच के सामने याचिका दायर की थी। एकल बेंच के फैसले को खारिज करते हुए बड़ी बेंच ने कहा था कि अमेजन और फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड के बीच शेयर सब्सक्रिप्शन का जो समझौता हुआ था, फ्यूचर रिटेल लिमिटेड उसका हिस्सा नहीं थी। इसी तरह फ्यूचर रिटेल और रिलायंस रिटेल के बीच सौदे में अमेजन भी पार्टी नहीं है। दोनों बिल्कुल अलग डील हैं। बड़ी बेंच ने यह भी कहा था कि उसकी टिप्पणी सिर्फ पहली नजर पर आधारित है और एकल जज की बेंच को अपना फैसला सुनाते वक्त इस टिप्पणी से प्रभावित नहीं होना चाहिए।