वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यस बैंक के जमाकर्ताओं को आश्वासन दिया है कि बैंक में उनका पैसा सुरक्षित हैं और भारतीय रिजर्व बैंक समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है। सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि वह आरबीआइ से बातचीत कर रही हैं। केंद्रीय बैंक इस मामले में काम कर रहे हैं। आरबीआइ ने जल्द समधान का आश्वासन दिया है। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने उन्हें बताया है कि किसी भी जमाकर्ता को वित्तीय हानि नहीं होगी। इससे पहले यस बैंक में धन निकासी सीमा लगाने के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआइ तेजी से कार्रवाई करके बैंक को 30 दिनों के भीतर संकट से निकालेगा। उधर, यस बैंक के डिजिटल पार्टनर फोनपे की ई-वॉलेट सेवाएं भी ठप हो गई हैं।
50 हजार से ज्यादा नहीं निकाल सकते ग्राहक
आरबीआई के इस आदेश के बाद अब ग्राहक 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे। आरबीआई के मुताबिक फिलहाल यह रोक 5 मार्च से 3 अप्रैल तक लगी रहेगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को प्रशासक नियुक्त कर दिया है। इसके अलावा जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदिया भी लगा दी गई हैं। वहीं एसबीआई बोर्ड ने यस बैंक में निवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दे दी है।
आरबीआइ का एक माह में समाधान का आश्वासन
आरबीआइ गवर्नर ने कहा है कि बैंक की समस्या का समाधान जल्दी किया जाएगा। न सिर्फ इस बैंक बल्कि समूचे भारतीय वित्तीय बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता लाने के लिए आरबीआइ तेजी से कदम उठा रहा है। केंद्रीय बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए एक महीने में निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय की है। बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गई है।
आरबीआई ने कहा कि यस बैंक लगातार एनपीए की समस्या से जूझ रहा है, जिसके चलते यह निर्णय लेना पड़ा है। आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, यस बैंक में बचत, चालू या किसी अन्य जमा खाते से एक माह के दौरान 50 हजार रुपये से अधिक धनराशि नहीं निकाली जा सकेगी। इसके अलावा यदि किसी के बैंक में एक से ज्यादा खाते हैं तो भी 50 हजार से ज्यादा धनराशि नहीं निकाली जा सकेगी। दूसरी ओर एसबीआई बोर्ड ने येस बैंक में निवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दे दी है।
यस बैंक संकट से फोनपे पर ट्रांजेक्शन भी बाधित
यस बैंक पर प्रतिबंध लगने के बाद उसका डिजिटल पार्टनर और ई-वॉलेट कंपनी फोनपे भी मुश्किल में पड़ गई है। फोनपे अपने ग्राहकों को सेवा नहीं दे पाएगी क्योंकि वह यस बैंक के जरिये ही ट्रांजेक्शन कर सकेगी। फोनपे के चीफ एक्जीक्यूटिव समीर निगम ने आज सुबह ट्वीट करके कहा कि लंबे समय से ई-वॉलेट के बंद होने से उन्हें खेद है। हमारे पार्टनर यस बैंक पर आरबीआइ ने मोरेटोरियम लगाया है। फोनपे की टीम जल्दी से जल्दी सेवाएं सुचारु करने पर काम कर रही है।
आरबीआई ने देर शाम जारी बयान में कहा कि यस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है। इससे लगभग छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया था। यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की दिक्कतों से जूझ रहा है।
कुछ मामलों में ग्राहकों को निकासी सीमा में छूट
आरबीआई ने यस बैंक के कुछ ग्राहकों को 50 हजार की निकासी सीमा से कुछ छूट भी दी है। इनमें वो ग्राहक शामिल हैं, जिन्हें कोई मेडिकल इमरजेंसी, हायर एजुकेशन, शादी के खर्चे और आपात आर्थिक आवश्यकता है। इन ग्राहकों पर 50 हजार की सीमा लागू नहीं होगी।
एसबीआई और एलआईसीकरेंगे निवेश
एसबीआई बोर्ड ने यस बैंक में निवेश करने के लिए "सैद्धांतिक रूप से" मंजूरी दे दी है। भारतीय स्टेट बैंक ने गुरुवार को बैंक के केंद्रीय निवेश बोर्ड की बैठक में यस बैंक के संबंध में चर्चा की और बैंक में निवेश के अवसर तलाशने के लिए बोर्ड द्वारा सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी गई है। सरकार ने अपने स्वामित्व वाली बीमा कंपनी एलआईसी से एसबीआई के साथ मिलकर हिस्सेदारी खरीदने के लिए भी कहा है। खबरों के अनुसार, सरकार ने एसबीआई और एलआईसी को सामूहिक रूप से यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने के लिए कहा है।