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न तो राहत, न बोझ बढ़ा...आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को अपनी नीति घोषणा में सर्वसम्मति से रेपो...
न तो राहत, न बोझ बढ़ा...आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को अपनी नीति घोषणा में सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह जानकारी दी।

गवर्नर ने बताया कि एमपीसी की बैठक 29 और 30 सितंबर तथा 1 अक्टूबर को हुई, जिसमें मौजूदा आर्थिक स्थितियों पर विचार-विमर्श किया गया तथा ब्याज दर के बारे में निर्णय लिया गया।

उभरते व्यापक आर्थिक परिदृश्य के विस्तृत मूल्यांकन के बाद समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए मतदान किया।

उन्होंने कहा, "एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया।"

इस निर्णय के साथ, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) की दर भी 5.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनी रहेगी। सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.75 प्रतिशत पर बनी रहेंगी।

स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर वह ब्याज दर है जो आरबीआई उन बैंकों को देता है जो अपनी अधिशेष, गैर-संपार्श्विक निधि को रातोंरात आधार पर केंद्रीय बैंक के पास जमा करते हैं।

दूसरी ओर, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर से तात्पर्य उस दंडात्मक ब्याज दर से है, जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक तब चुकाते हैं, जब वे अंतिम उपाय के रूप में आरबीआई से ओवरनाइट लिक्विडिटी उधार लेते हैं, विशेष रूप से तब, जब अंतर-बैंक बाजार में धन उपलब्ध नहीं होता है।

निर्णय की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि अगस्त की नीति बैठक के बाद से, तेजी से बदलते वैश्विक आर्थिक परिवेश के बीच घरेलू मोर्चे पर महत्वपूर्ण घटनाक्रमों ने भारत में विकास और मुद्रास्फीति की कहानी को बदल दिया है।

उन्होंने कहा, "अगस्त की नीति बैठक के बाद से, तेजी से बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच घरेलू मोर्चे पर महत्वपूर्ण घटनाक्रमों ने भारत में विकास मुद्रास्फीति की गतिशीलता की कहानी को बदल दिया है। अच्छे मानसून से उत्साहित, भारतीय अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में उच्च वृद्धि दर्ज करके मजबूती का प्रदर्शन जारी रखे हुए है।"

साथ ही, गवर्नर ने यह भी बताया कि मुख्य मुद्रास्फीति में काफी कमी आई है, जिससे एमपीसी को मौजूदा ब्याज दर रुख बनाए रखने में राहत मिली है।

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